कहानी संग्रह >> सच कहती कहानियां सच कहती कहानियांकुसुम खेमानी
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कुसुम खेमानी की मार्मिक, कौटुम्बिक कहानियों का संग्रह
Sach Kahati Kahaniyan (Kusum Khemani)
कुसुम खेमानी की कहानियों का यह पहला संग्रह हिन्दी कथा संसार के लिए एक घटना से कम नहीं। सम्भवतः पहली बार इतनी मार्मिक कौटुम्बिक कहानियाँ हिन्दी पाठकों को उपलब्ध हो रही हैं। यह सच कहती कहानियाँ नहीं; बल्कि स्वयं सच हैं; सच का तना रूप। भिन्न-भिन्न सामाजिक स्तरों के प्रसंगों एवं अनुभवों से बुनी गईं ये कहानियाँ समकालीन जीवन का एक अद्भुत कसीदा जड़ती हैं। चाहे ‘लावण्यदेवी’ हो या ‘रश्मिरथी माँ’ या ‘एक माँ धरती सी’, इन सबमें सूक्ष्मता और अंतरंगता से घर-परिवार के भीतर के जीवन को यथार्थ के साथ अंकित किया गया है। कुसुम खेमानी भाव से कथा कहती हैं लोक कथा की तरह। उनकी कहन शैली से पाठक इतनी बँध जाता है कि हुंकारी भरे बिना नहीं रहा पाता।
इन कहानियों का सबसे बड़ी खूबी है इनकी भाषा और शैली। हिन्दी में होते हुए भी ये कहानियाँ एक ही साथ बांग्ला, राजस्थानी और उर्दू का भी विपुल व्यवहार करती हैं जो इन्हें एक महानगरीय संस्कार प्रदान करता है। कुसुम खेमानी के पहले ऐसा प्रयोग शायद कभी नहीं हुआ। इन कहानियों की बुनावट और अन्त भी सहज, किन्तु अप्रत्याशित होता है।
हर कहानी अपने आप में एक स्वतंत्र लोक है।
इस संग्रह के साथ कुसुम खेमानी के रूप में हि्न्दी को एक अत्यन्त सशक्त शैलीकार एवं संवेदनशील किस्सागो मिला है। निश्चय ही यह संग्रह सहृदय पाठकों एवं साहित्य के अध्येताओं द्वारा अंगीकार किया जाएगा।
इन कहानियों का सबसे बड़ी खूबी है इनकी भाषा और शैली। हिन्दी में होते हुए भी ये कहानियाँ एक ही साथ बांग्ला, राजस्थानी और उर्दू का भी विपुल व्यवहार करती हैं जो इन्हें एक महानगरीय संस्कार प्रदान करता है। कुसुम खेमानी के पहले ऐसा प्रयोग शायद कभी नहीं हुआ। इन कहानियों की बुनावट और अन्त भी सहज, किन्तु अप्रत्याशित होता है।
हर कहानी अपने आप में एक स्वतंत्र लोक है।
इस संग्रह के साथ कुसुम खेमानी के रूप में हि्न्दी को एक अत्यन्त सशक्त शैलीकार एवं संवेदनशील किस्सागो मिला है। निश्चय ही यह संग्रह सहृदय पाठकों एवं साहित्य के अध्येताओं द्वारा अंगीकार किया जाएगा।
अरुण कमल
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