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गरीबी हटाओ

रवीन्द्र कालिया

प्रकाशक : सरल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2011
पृष्ठ :230
मुखपृष्ठ :
पुस्तक क्रमांक : 8450
आईएसबीएन :0

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गरीबी हटाओ पुस्तक का आई पैड संस्करण

Garibi Hatao - A Hindi Ebook By Ravindra Kaliya

आई पैड संस्करण


लड़के ने रिक्शेवाले को दो चार मैया की गालियाँ दीं और गली में जा छिपा। मोहन ठठेर ने इस पर विशेष ध्यान नहीं दिया। उसे यह भी पता नहीं चला कि उसका बेटा कब दूसरे रिक्शा के पीछे लटक कर ठठेरी बाज़ार की सरहदें लाँघ गया। मोहन ठठेर का सारा ध्यान हरप्रसाद के ग्राहकों पर था। संयोग से दो तीन महिलाएँ धड़धड़ाती हुई हरप्रसाद की दुकान में घुस आई थीं, स्टील के गिलास ढूँढ़ती हुई। मोहन ठठेर ने विजयी नजरों से बाजार की तरफ देखा, जैसे बता रहा हो कि देखो वह हरप्रसाद के लिए कितना भाग्यवान साबित हो रहा है। बाज़ार में वाकई सन्नाटा था। मोहन ठठेर की इच्छा हो रही थी कि वह चिल्ला-चिल्ला कर घोषित कर दे कि यह मोहन ठठेर का ही चमत्कार है कि ग्राहक बीसियों दुकानें छोड़ कर वहीं आ रहे हैं जहाँ वह डटा हुआ है।

अचानक उसे दिव्य अनुभव होने लगा। उसके मन में आया कि वह लोगों को सट्टे के नम्बर बताना शुरू कर दे। लोग उसे घेरे रहें और वह उन्हें गालियाँ देते हुए दुत्कारता रहे, जिस पर प्रसन्न हो जाये उसे ठीक-ठीक नम्बर बता दे।
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