लोगों की राय

अतिरिक्त >> जीवी

जीवी

पन्नालाल पटेल

प्रकाशक : सरल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2011
पृष्ठ :300
मुखपृष्ठ :
पुस्तक क्रमांक : 8485
आईएसबीएन :0

Like this Hindi book 5 पाठकों को प्रिय

382 पाठक हैं

जीवी पुस्तक का किंडल संस्करण...

Jeevi - A Hindi Ebook By Pannalal Patel

किंडल संस्करण


इस उपन्यास के साल-सवा साल के कथा-काल में ग्राम्य-जीवन की सरलता, निश्छलता, अन्ध-विश्वास और बात पर मर मिटने की वृत्ति पग-पग पर प्रकट होती है। भाषा ठेठ ग्रामीण है, जिसमें लेखक ने अनेक बहुमूल्य अनुभव सूक्तियों के रूप में पिरो दिए हैं। लेखक का कथाशिल्प अद्वितीय है। मेले से ही उपन्यास का आरम्भ होता है और मेले से ही अन्त। उपन्यास का वातावरण खेत, खलिहान, मचान और कुएँ को लेकर चलता है और लोक-गीतों ने उसे और भी मादक बना दिया है। पात्रों के अन्तर्द्वन्द्व के साथ आदर्शवाद का ऐसा अपूर्व संगम इस उपन्यास में हुआ है कि अच्छे-अच्छे मनोविश्लेषण-प्रधान उपन्यास-लेखक आश्चर्यचकित होकर रह जायँ। कथा की गति बड़ी ही स्वाभाविक है और एक भी वाक्य या शब्द व्यर्थ नहीं है। सारा उपन्यास साँचे में ढला हुआ-सा लगता है। उपन्यास-लेखक ने भारतीय ग्राम्यजीवन की झलक देने में अद्भुत संयम और प्रशंसनीय कौशल से काम लिया है। कदाचित् इसीलिए यह भारतीय आंचलिक उपन्यासों में अपने ढंग की श्रेष्ठतम रचना है।
इस पुस्तक के कुछ पृष्ठ यहाँ देखें।

प्रथम पृष्ठ

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book