अतिरिक्त >> झरोखा झरोखाशिवानी
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झरोखा पुस्तक का किंडल संस्करण...
किंडल संस्करण
इसी सप्ताह ‘वातायन’ के किसी अनामा पाठक का मेरे पास एक अत्यन्त उग्र पत्र आया है–‘इधर दो-तीन सप्ताहों से आपका यह स्तम्भ पढ़कर लगता है कि आपको अभी भी अतीत के शासन से ही सहानुभूति है। परिवार नियोजन को आप अब भी अनिवार्य मानती हैं। आपत्स्थिति की प्रशस्ति करना भी नहीं भूलतीं। कृपया अपने संकुचित विचार अपने ही तक सीमित रखें।’
उक्त पाठक से इतना ही कहना है कि जिस व्यक्ति में, पत्र के अंत में अपना नाम लिखने का साहस नहीं होता, उसके किसी भी उपालम्भ को मैं महत्त्व नहीं देती। फिर भी इतना उन्हें बताना आवश्यक समझती हूं कि किसी पार्टी विशेष से मेरी सहानुभूति या प्रशंसात्मक रवैये का प्रश्न नहीं उठता।
मेरा पेशा लेखन है, राजनीति नहीं; किन्तु जो वास्तव में अतीत के शासन की उपलब्धियां थीं, उन्हें स्वीकारने में हमें कृपण नहीं होना चाहिए।
यदि हम कांग्रेस का ९२ वर्ष का इतिहास देखें तो १८८५ में लार्ड ह्यूम की प्रेरणा से सिरजी गई इस संस्था में हुए ऐसे अनेक उग्र मतभेद स्पष्ट अक्षरों में उभर आएंगे।
इस पुस्तक के कुछ पृष्ठ यहाँ देखें।
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