अतिरिक्त >> कहानी की बात कहानी की बातमार्कण्डेय
|
6 पाठकों को प्रिय 173 पाठक हैं |
कहानी की बात पुस्तक का आई पैड संस्करण
आई पैड संस्करण
नई कहानी की बहस के सिलसिले में जो लिखा जा रहा है, मेरा खयाल है, उसमें बाह्य-आरोपित मान्यताओं का यही स्वर मुख्य है। अन्यथा मात्र कथा-वस्तु की नवीनता अथवा प्राचीनता को कोई आधुनिक अथवा प्राचीन के मानदण्ड के रूप में प्रस्तुत नहीं करता।...मध्यवर्ग के जीवन में कुछ नया नहीं है...किसान का जीवन कहानी के लिए प्राचीन हैं...ऐसी बातों को उठाना या कहानी में पात्र अथवा कथानक की बात करते हुए पुराने लेखकों का नाम लेकर नई रचना को तुच्छ करार देना यह स्पष्ट कर देता है कि इस आलोचना को रचना अथवा जीवन के सत्यों से कम मतलब है, अपनी व्यक्तिगत मान्यता को थोपने और रचना द्वारा निर्मित सत्य को झुठलाने का इसका आग्रह ही मुख्य है।
इस पुस्तक के कुछ पृष्ठ यहाँ देखें।
|
अन्य पुस्तकें
लोगों की राय
No reviews for this book