अतिरिक्त >> किसे जगाऊं किसे जगाऊंनरेन्द्र कोहली
|
4 पाठकों को प्रिय 10 पाठक हैं |
किसे जगाऊं पुस्तक का आई पैड संस्करण...
आई पैड संस्करण
पवनपुत्र हनुमान तथा स्वामी विवेकानन्द के जीवन में महादेव शिव के महत्त्व को देखते हुए भी, मेरे मन में साम्य संबंधी अनेक संभावनाएँ जागती हैं। हनुमान को रूद्र का अवतार भी माना जाता है।४ गोस्वामी तुलसीदास ने उन्हें ‘वानराकार विग्रह पुरारी’ भी कहा है। हनुमान चालीसा में उन्हें ‘संकर सुवन केसरी नन्दन’ कहा गया है। स्वामी विवेकानन्द के जीवन में भी महादेव शिव का इतना महत्व है कि वे उन्हीं के अंश से उत्पन्न हुए लगते हैं। उनकी माता ने वीरेश्वर शिव की उपासना करके ही उन्हें पाया था और इसीलिए अपने आराध्यदेव के नाम पर ही शैशव में उनका नाम ‘वीरेश्वर’ रखा गया था, जो क्रमशः परिवर्तित होता हुआ वीरेश्वर से बोलेश्वर हुआ और अंततः बीले मात्र रह गया। घर में पुकारे जाने का, उनका यही नाम था। शैशवावस्था में, जब उनकी असाधारण ऊर्जा प्रकट हो रही थी और वे किसी के सँभाले नहीं सँभल रहे थे तो माँ ने उन्हें शांत करने के लिए सिर पर जल डालते हुए ‘शिव, शिव’ का ही उच्चारण किया था और वे शांत हो भी गए थे। उनके उत्पातों से परेशान होकर माता भुवनेश्वरी ने महादेव शिव से शिकायत भी कुछ ऐसी ही की थी, ‘भगवन्। आपसे एक पुत्र माँगा था। आपने यह, अपना कौन-सा भूत भेज दिया।’ स्वामीजी ने अपने शैशव में पहले सीता-राम की ही उपासना की थी और फिर वे क्रमशः संन्यास तथा वैराग्य के आकर्षण में महादेव के निकट होते गए थे। उन्हें अपने वार्तालाप के मध्य ‘शिव-शिव’ कहने का अभ्यास था और अमरनाथ में उन्होंने जो दिव्यानुभूति प्राप्त की थी, वह भी महादेव का ही प्रसाद था।
इस पुस्तक के कुछ पृष्ठ यहाँ देखें।
|
अन्य पुस्तकें
लोगों की राय
No reviews for this book