अतिरिक्त >> महाराजा रणजीत सिंह महाराजा रणजीत सिंहतिलकराज गोस्वामी
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महाराजा रणजीत सिंह पुस्तक का किंडल संस्करण...
किंडल संस्करण
पंजाब-केसरी महाराजा रणजीतसिंह की गणना भारत के उन महान् शासकों में की जाती है जिन्होंने अपने अपूर्व शौर्य, कुशल नेतृत्व एवं प्रशासनीय दक्षता से इतिहास में अपना नाम स्वर्णिम अक्षरों में अंकित कर दिया। अपने चालीस वर्ष के दीर्घ शासनकाल में उन्होंने पंजाब को ऐसा स्वच्छ, सशक्त तथा धर्मनिरपेक्ष शासन प्रदान किया जिसका भारत के ही नहीं वरन् विश्व के इतिहास में दुर्लभ उदाहरण है। वे प्रथम वीर योद्धा थे जिन्होंने उत्तर पश्चिमी दर्रों से होने वाले आक्रमणों को रोका ही नहीं अपितु उल्टे उन्हीं दर्रों से होकर हिन्दूकुश तथा अफगानिस्तान तक अपना राज्य स्थापित किया। उनके राज्य का एक सिरा तिब्बत व हिन्दूकुश तक, दूसरा शिकारपुर सिंध तक, तीसरा सुलेमान पर्वत तक और चौथा सतलज नदी तक था। १,४०,००० वर्ग मील का यह लंबा-चौड़ा क्षेत्र यूरोप तथा एशिया के अनेक स्वतंत्र राज्यों से बड़ा था। अंग्रेजों ने भारत के बहुत बड़े भाग्य पर अपना आधिपत्य जमा लिया था पर उनमें इतना साहस नहीं था कि महाराजा रणजीतसिंह के रहते हुए पंजाब की ओर आँख उठाकर भी देख पाते। अतः उन्होंने शेरे पंजाब से मित्रता बनाए रखने में ही अपना हित समझा।
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