लोगों की राय

अतिरिक्त >> मुखड़ा बदल गया

मुखड़ा बदल गया

उपेन्द्र नाथ अश्क

प्रकाशक : सरल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2011
पृष्ठ :110
मुखपृष्ठ :
पुस्तक क्रमांक : 8542
आईएसबीएन :0

Like this Hindi book 3 पाठकों को प्रिय

225 पाठक हैं

मुखड़ा बदल गया पुस्तक का आई पैड संस्करण...

Mukhra Badal Gaya - A Hindi Ebook By Upendra Nath Ashk

आई पैड संस्करण


मुखड़ा बदल गया–अश्क के नवीनतम एकांकियों का संग्रह है। नितान्त मनोरंजक और संगृहणीय!

अश्क की एकांकी कला का गुण उनका सूक्ष्म हास्य, तलभेदी व्यंग्य तथा दयानतदारी और सच्चाई से यथार्थ का उद्घाटन है।

जर्मन स्कॉलर प्रो० ज्यार्ज बुद्रूस ने अपने एक निबन्ध में ठीक ही लिखा है कि अश्क का यथार्थवाद एक-पक्षीय नहीं है। उनका रचनाकार सम्भावनाओं के ‘सत्य’ के अनन्त क्षेत्र को अपनी अभिव्यक्ति के लिए खुला मानता है।

अश्क ने आज तक पचास के लगभग एकांकी लिखे हैं और उनमें रंगारंग पात्रों का एक चकित कर देने वाला मानव-समूह है। मुखड़ा बदल गया में अश्क ने कुछ नये पात्रों का सृजन किया है, जो पहले से भिन्न भी हैं, दिलचस्प भी और पेचीदा भी! लेकिन अश्क ने बड़ी सफ़ाई से उनके मुखौटे उतार कर उनके असली रूप को पाठकों के सामने पेश कर दिया है!
इस पुस्तक के कुछ पृष्ठ यहाँ देखें।

प्रथम पृष्ठ

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book