गीता प्रेस, गोरखपुर >> श्रीकृष्णलीला श्रीकृष्णलीलागीताप्रेस
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श्रीकृष्ण की बाललीलाओं का सचित्र वर्णन..
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
।।श्रीहरि:।।
पोथी की जानकारी
भगवान् श्रीकृष्ण की लीला बड़ी ही मीठी, उपदेशभरी और सबके जीवन में नया
उत्साह, नयी-नयी पवित्रता भरनेवाली और बालकों के लिये तो बहुत ही
आनन्ददायिनी है। छोटे-छोटे बच्चे भगवान् श्रीकृष्ण की मधुर लीलाओं का
ज्ञान प्राप्त कर लें और बोलचाल की भाषा में लीला की तुकबंदी याद कर लें
तो वे सहज ही श्रीकृष्ण जीवन से परिचित हो जाते हैं और पदों को बोलकर तथा
दूसरों को सुनाकर आनन्द प्राप्त कर सकते हैं। प्रत्येक चित्र के नीचे सहज
पद में याद करने के लिये लीला का वर्णन कर दिया गया है। लीलाओं का
सिलसिलेवार ज्ञान हो जाय, इस उद्देश्य से प्रत्येक चित्र के सामने उसका
वर्णन भी सरल भाषा में छाप दिया गया है। इसमें लीलाओं के 16 चित्र हैं और
एक रंगीन चित्र है। आशा है, इससे हमारे बालक लाभ उठायेंगे।
प्रकाशक
।।श्रीहरि:।।
बाल-चित्रमय श्रीकृष्णलीला
द्वापर युग के अन्त का समय था। पाँच हजार वर्ष से कुछ और पहले की बात हैं।
मथुरा के राजा उग्रसेन का बड़ा पुत्र कंस अपने चाचा देवकी की सबसे छोटी
पुत्री देवकी को विवाह के बाद पहुँचाने जा रहा था। देवकी का
विवाह
वसुदेवजी के साथ हुआ था। मार्ग में आकाशवाणी ने कंस से
कहा-‘देवकी
को मारने के लिये तैयार हो गया, लेकिन वसुदेवजी ने यह वचन दिया कि देवकी
को जो भी सन्तान होगी उसे उत्पन्न होते ही वे कंस को दे दिया
करेंगे।’
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