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सम्मुख
सम्मुख
प्रकाशक :
राजकमल प्रकाशन |
प्रकाशित वर्ष : 2022 |
पृष्ठ :284
मुखपृष्ठ :
सजिल्द
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पुस्तक क्रमांक : 8593
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आईएसबीएन :9788126722525 |
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‘सम्मुख’ नामवर सिंह के साक्षात्कारों की महत्वपूर्ण पुस्तक है।
Sammukh by Namvar Singh
‘सम्मुख’ नामवर सिंह के साक्षात्कारों की महत्वपूर्ण पुस्तक है। नामवर सिंह आधुनिक हिन्दी के सबसे बड़े संवादी हैं। जिस अर्थ में महात्मा गाँधी आधुनिक भारत के। वाद विवाद संवाद को अनिवार्य मानते हुए संवाद के प्रत्येक रूप के लिए प्रस्तुत। संवादी आलोचक। साहित्य-समाज में छिड़ी चर्चाओं में अपनी मान्यताओं और तर्कों के साथ उपस्थित होकर उसमें अपने ढंग से हस्तक्षेप करना उन्हें जरूरी लगता है। सम्भावतः इसीलिए उन्होंने ‘साक्षात्कार’ विधा को उसके उभार के दौर से ही गम्भीरता से लिया है। साक्षात्कार विधा के उभार का गहरा सम्बन्ध आठवें दशक में पत्रकारिता और साहित्य की आन्तरिक जरूरतों और उनके रिश्तों के साथ ही भारतीय लोकतन्त्र में आए बुनियादी परिवर्तन से है।
पुस्तक में संकलित साक्षात्कारों का विषय क्षेत्र अत्यन्त विस्तृत है। मार्क्सवाद, समकालीन विश्व, पूँजीवाद, नवसाम्राज्यवाद, नवफासीवाद और भारतीय लोकतन्त्र के विरूपीकरण से लेकर कविता और कहानी तक। साहित्य और देश-दुनिया की उनकी समझ का एक स्पष्ट प्रतिबिम्ब यहाँ मिलता है। उनकी विश्वदृष्टि का रूपायन इसमें हुआ है। पुस्तक दो खंडों में है। दीर्घ और विषय केन्द्रित साक्षात्कार पहले खंड में हैं। इनमें एक तरह की तार्किक पूर्णता है। उठाए गए प्रश्नों पर नामवर जी का अभिमत समग्रता के साथ अभिव्यक्त हुआ है। दूसरे खंड में प्रकाशित साक्षात्कारों में ‘तेज चाल बातचीत’ का बोध होता है। इनमें एक तरह की क्षिप्रता है। विलक्षण नुकीलापन। ये साक्षात्कार हमारे समय की शीर्ष आलोचक नामवर सिंह की विचार-प्रक्रिया को भी रेखांकित करते हैं।
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