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प्रेत शताब्दी

प्रभात कुमार भट्टाचार्य

प्रकाशक : सरल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2011
पृष्ठ :121
मुखपृष्ठ :
पुस्तक क्रमांक : 8594
आईएसबीएन :0

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प्रेत शताब्दी पुस्तक का आई पैड संस्करण

Premi Ka Uphar - A Hindi Ebook By Rabindranath Tagore

आई पैड संस्करण


आम आदमी के संघर्ष का दूसरा पड़ाव हैं ‘प्रेत शताब्दी’, जिसमें एक द्वन्द हैं- एब्सर्ड और यथार्थ के बीच। पहला पडाव था ‘काठ-महल’। ‘प्रेत-शाताब्दी’ के पात्र भी कमावेश वे ही हैं जिनका ‘काठमहल’ के माध्यम से परिचय पहले ही मिल चुका है। ‘प्रेत शताब्दी’ का विकृतियों से भरा प्लैट-फार्म, उन पात्रों की अगली छलांग के लिये ज़मीन तैयार करता है जो सामान्य-जन की मुक्ति के लिये संघर्ष में अपनी भूमिका लगातार निर्वाह कर रहे हैं।

‘प्रेत शताब्दी’ में सामान्य-जन की मुक्ति की लड़ाई तीन स्तरों पर लड़ी गई हैं। एक ओर निहित स्वार्थों की राजनीतिक आकांक्षाओं की पूर्ति की घिनौनी कोशिशें है। दूसरी ओर टूटे हुए लोगों की पस्त और भयावह तटस्थता हैं और तीसरी ओर हैं एक रास्ते की तलाश। यह तलाश प्रेत की भी हैं, नटी की भी हैं और यक्ष की भी है, अपने-अपने ढंग से। इस पुस्तक के कुछ पृष्ठ यहाँ देखें।

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