अतिरिक्त >> प्रियवर प्रियवरनिमाई भट्टाचार्य
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प्रियवर पुस्तक का आई पैड संस्करण
आई पैड संस्करण
यह मध्यवित्त परिवार की ऐसी लड़की की कहानी है जिसे कलकक्ते से न्यूयार्क तक पहुँचने में हर कदम पर पुरुष की वासना का शिकार बनना पड़ा। बकौल उसी के कई वर्ष पहले मैंने चाचा के साथ जो खेल शुरू किया, बाद में अनेक पुरुषों के साथ खेला। सबने मुझे, अपना शिकार बनाया तो मैंने भी कुछ को अपना खिलौना बना कर मन की आग और बदन की जलन बुझायी। मन करता है, सबसे सब कुछ कह दूँ। मुझे लूटने के बाद जिन लोगों ने सुख से घर बसाया, उनके घर में आग लगा दूँ। जिन यशस्वी और श्रद्धेय पुरुषों ने मुझसे रूप-यौवन की भीख माँगी है, उनको बेनकाब कर दूँ। एक बार एक भारतीय नेता सबेरा होते ही मेरे स्लीपर पहन-कर एयर इंडिया के विमान से स्वदेश रवाना हो गये थे। मेरे पास अनेक प्रतिष्ठित पुरुषों के अश्लील प्रेमपत्र हैं। अब मेरे शरीर और मन में नयी जलन पैदा होने लगी है। अब मैं अपने को किसी पशु के पजों के हवाले नहीं कर सकती। लेकिन इस संसार में क्या एक भी ऐसा पुरुष नहीं है, जो मेरी गलतियों को माफ कर मेरी माँग में सिदूर भर दे ? जो मुझे हर अमंगल से बचा ले ? रात के अँधेरे में जिसकी बलिष्ठ बाँहों में और जिसके प्रशस्त वक्ष पर मुझे निश्चिंत आश्रय मिले ? जो मुझे पत्नी की मर्यादा और कम से कम एक संतान की माँ बनने का गौरव दे सके ?
लेकिन लगता है कि इस धरती पर ऐसा पुरुष नहीं है। परम व्यभिचारी पुरुष भी सती सावित्री की तरह पत्नी चाहता है। इसलिए भाई रिपोर्टर, जब तुम्हारी श्यामा माँ बने, तब उसकी संतान को मुझे अपनी छाती से लगाने का मौका देना, ताकि मैं मातृत्व के सुख का अनुभव कर सकूँ। इस पुस्तक के कुछ पृष्ठ यहाँ देखें।
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