लोगों की राय

उपन्यास >> फिर लौटते हुए

फिर लौटते हुए

राकेश वत्स

प्रकाशक : राजपाल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2011
पृष्ठ :178
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 8615
आईएसबीएन :9788170284277

Like this Hindi book 7 पाठकों को प्रिय

164 पाठक हैं

फिर लौटते हुए

Phir Loutate Huye (Rakesh Vats)

लेखनी के धनी श्रेष्ठ उपन्यासकार राकेश वत्स का नवीन उपन्यास जो आधुनिक जीवन की उलझनों तथा समस्याओं की पृष्ठभूमि में अत्यन्त शक्तिशाली तथा पठनीयता से परिपूर्ण ढंग से विषय के सभी तथ्यों को उजागर करता है-लीक से हटकर एक बिलकुल नए ढंग से लिखित सामयिक सामाजिक उपन्यास

प्रथम पृष्ठ

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book

A PHP Error was encountered

Severity: Notice

Message: Undefined index: mxx

Filename: partials/footer.php

Line Number: 7

hellothai