अतिरिक्त >> शीला भट्टारिका शीला भट्टारिकामिथिलेश कुमारी
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शीला भट्टारिका पुस्तक का आई पैड संस्करण
आई पैड संस्करण
भारतीय संस्कृति और साहित्य से तनिक भी लगाव रखने वालों के लिए ‘शीला भट्टारिका’ का नाम अपरिचित नहीं होगा। लेखिका ने बड़ी कुशलता एवं विद्वत्ता का परिचय देते हुए प्राचीन गाथा की इस महिषी को उपन्यास के रूप विधान में प्रस्तुत किया है। निश्चय ही यह कार्य कठिन है, उस स्थिति में और भी, जब कथा नायिका का चरित्र समय के लम्बे अन्तराल के कारण सामयिक जीवन प्रवाह के बहुत पीछे छूट गया हो। लेखिका की कुशल लेखनी ने तत्कालीन जीवन-संदर्भों को हमारे लिए सुलभ ही नहीं बनाया है वरन् उसके मार्मिक कवि व्यक्तित्व को साकार कर दिया हैं।
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