लोगों की राय

अतिरिक्त >> टूटते गांव बनते रिश्ते

टूटते गांव बनते रिश्ते

योगेन्द्र प्रताप सिंह

प्रकाशक : सरल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2011
पृष्ठ :144
मुखपृष्ठ :
पुस्तक क्रमांक : 8658
आईएसबीएन :0

Like this Hindi book 6 पाठकों को प्रिय

37 पाठक हैं

टूटते गांव बनते रिश्ते का आई पैड संस्करण

Tutte Ganv Bante Rishte - A Hindi Ebook By Yogendra Pratap Singh

आई पैड संस्करण

प्रस्तुत उपन्यास में योगेन्द्रप्रताप सिंह ने आज नये गाँव की जीती-जागती तस्वीर प्रस्तुत की है। हिन्दी कथा-साहित्य में अब तक जिस गाँव का दर्शन पाठक को होता रहा है, वह बहुत बदल चुका है। पुराने रिश्ते टूट चुके हैं और सामाजिक संदर्भों के नये समीकरण बन गये हैं। नैतिकता, जीवन मूल्य और भूमि सम्बन्धों के बदलाव ने जैसे पुराने गाँव को खंड-खंड कर दिया है। बाह्य रूपान्तरण और आंतरिक बनावट–दोनों ओर से जिस नये गाँव ने जन्म लिया है उसकी पहचान प्रस्तुत करने का एक प्रयास उपन्यासकार ने किया है और निःस्संदेह इसमें उसे सफलता मिली है।
इस पुस्तक के कुछ पृष्ठ यहाँ देखें।

प्रथम पृष्ठ

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book