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हिंदी आलोचना की पारिभाषिक शब्दावली

अमरनाथ

प्रकाशक : राजकमल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2009
पृष्ठ :566
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 8661
आईएसबीएन :9788126716524

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हिंदी आलोचना की पारिभाषिक शब्दावली

Hindi Alochna Ki Paribhashik Shabdavali (Amarnath)

आधुनिक हिंदी आलोचना की आयु भले ही सौ-सवा सौ वर्ष हो किंतु उसने इतनी तेजी से डग भरे कि इस अल्प अवधि में ही दुनिया की किसी दूसरी समृद्ध भाषा से होड़ लेने में सक्षम है।

आज हिंदी आलोचना में जो पारिभाषिक शब्द प्रचलित हैं, उनके मुख्यतः तीन स्रोत हैं। उनमें सबसे प्रमुख स्रोत हमारा संस्कृत काव्यशास्त्र है, जिसकी समृद्धि तद्युगीन विश्वसाहित्य में अतुलनीय है। हिंदी आलोचना की समृद्धि के पीछे उसकी अपनी यही विरासत है। दूसरा स्रोत यूरोप का साहित्यशास्त्र है, जिससे हमारे लगभग साढ़े तीन सौ वर्षों से संबंध हैं। पिछले कुछ दशकों में उदारीकरण और भूमंडलीकरण के चलते यूरोप से अनेक नए पारिभाषिक शब्द हिंदी में आए हैं, जिन्हें हिंदी ने पूरी उदारता से ग्रहण किया है। इसी के साथ हिंदी आलोचना ने अनेक शब्द स्वयं भी विकसित किए हैं।

इस समृद्धि के बावजूद हिंदी आलोचना में प्रचलित बहुतेरे पारिभाषिक शब्दों की अवधारणा को रेखांकित करने वाली पुस्तक की कमी लगातार महसूस की जा रही थी। समकालीन हिंदी आलोचना की इस अनिवार्य आवश्यकता को पूरी करने वाली यह अकेली पुस्तक है हिंदी साहित्य के सुधी अध्येताओं के लिए अनिवार्यतः संग्रहणीय।


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