व्यवहारिक मार्गदर्शिका >> चूम लो जहान को चूम लो जहान कोसुब्रोतो बागची
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सुब्रोतो बागची की ‘चूम लो जहान को’ एक प्रेरणा है ‘युवा भारत’ के लिए...
‘चूम लो जहान को’ सुब्रोतो की नेत्रहीन मां द्वारा उनसे कहे अंतिम शब्द थे, और ये उनकी ज़िंदगी के मार्गदर्शक सिद्धांत बन गए।
यह पुस्तक एक प्रेरणा है ‘युवा भारत’ के लिए, साथ ही साथ उन लोगों के लिए भी, जो छोटे कस्बों से आते हैं। यह उन्हें अपनी आन्तरिक शक्तियों को उभारने और उन्हें पहचानने के लिए प्रोत्साहित करती है, और इस तरह अपनी अनूठी क्षमताओं को पहचानने में उनकी मदद करती है।
सुब्रोतो उड़ीसा के ग्रामीण और छोटे शहरों की ‘भौतिक सादगी’ के माहौल में पले-बढ़े। अपने परिवार से उन्हें सन्तुष्टि की भावना, सतत उत्सुकता, बृहद जगत से एक जुड़ाव और विशिष्ट स्रोतों से सीखने की लगन प्राप्त हुई। साधारण स्तर पर शुरुआत करके उन्होंने असाधारण सफलताएं हासिल कीं, और अंततः भारत की एक अत्यन्त प्रतिष्ठित साफ़्टवेयर कंपनी की सह-स्थापना की।
यह पुस्तक एक प्रेरणा है ‘युवा भारत’ के लिए, साथ ही साथ उन लोगों के लिए भी, जो छोटे कस्बों से आते हैं। यह उन्हें अपनी आन्तरिक शक्तियों को उभारने और उन्हें पहचानने के लिए प्रोत्साहित करती है, और इस तरह अपनी अनूठी क्षमताओं को पहचानने में उनकी मदद करती है।
सुब्रोतो उड़ीसा के ग्रामीण और छोटे शहरों की ‘भौतिक सादगी’ के माहौल में पले-बढ़े। अपने परिवार से उन्हें सन्तुष्टि की भावना, सतत उत्सुकता, बृहद जगत से एक जुड़ाव और विशिष्ट स्रोतों से सीखने की लगन प्राप्त हुई। साधारण स्तर पर शुरुआत करके उन्होंने असाधारण सफलताएं हासिल कीं, और अंततः भारत की एक अत्यन्त प्रतिष्ठित साफ़्टवेयर कंपनी की सह-स्थापना की।
‘‘गो किस द वर्ड’ साहस, ईमानदारी और उद्यम की एक अनूठी गाथा है। दिल और आत्मा से एक कंपनी का निर्माण करने पर सुब्रोतो बागची का बल मैनेजमेंट की आजकल प्रचलित हायर एंड फायर शैली के लिए एक प्रतिकारक है।’
मार्क टुले
‘‘गो किस द वर्ड’ हर वर्ग के लोगों के द्वारा सराही गई है। बुद्धिमता और ईमानदारी की सुनहरी चमक इसमें बिखरी हुई है...’
एन. आर. नारायण मूर्ति
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