लोगों की राय

कहानी संग्रह >> बनवास

बनवास

उषा प्रियंवदा

प्रकाशक : पेंग्इन बुक्स प्रकाशित वर्ष : 2009
पृष्ठ :272
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 8698
आईएसबीएन :9780143104384

Like this Hindi book 6 पाठकों को प्रिय

143 पाठक हैं

उषा प्रियंवदा की बनवास, एक और बिदाई, चहारदीवारी, पचपन खंभे लाल दीवारें और वापसी जैसी मील की पत्थर कहानियाँ पहली बार एक ही संकलन में

Banvas (Usha Priyamvada)

उषा प्रियंवदा के समग्र लेखन में से 13 श्रेष्ठ कहानियों का यह चयन उनकी मानवीय संवेदनाओं और सरोकारों का प्रतिनिधित्व करने वाला है, साथ ही साथ यह उनकी कहानी-कला के विकास का भी अनूठा दस्तावेज़ है।

‘नई कहानी’ आंदोलन के दौर में अपनी कहानियों के स्वर और दृष्टि की विशिष्टता की वजह से बहुचर्चित और बहुप्रशंसित रहीं उषा प्रियंवदा आज हिंदी कहानी की महत्वपूर्ण हस्ताक्षर हैं। हिंदी कहानी की विशेषता पर होने वाली किसी भी तरह की चर्चा इनकी कहानियों के जिक्र के बगैर लगभग अधूरी है। बिना किसी तरह की नारेबाज़ी के उषा जी अपनी कहानियों में पक्षधरता जिस सादगी से अभिव्यक्त करती हैं, वह अपने आप में एक मिसाल है। व्यक्ति और परिवार, परिवार और समाज के अंतर्संबंधों की विसंगतियों और विडंबनाओं को जितनी सूक्ष्मता से उषा प्रियंवदा ने चित्रित किया है, उतनी ही व्यापकता में उन्होंने व्यक्ति के बाह्य और आंतरिक संसार के बीच के संबंध को भी उकेरा है। आज़ादी के बाद के भारत के बदले हुए मानसिक और सामाजिक परिवेश को हम उषा जी की कहानियों में देख और महसूस कर सकते हैं।


प्रथम पृष्ठ

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book

A PHP Error was encountered

Severity: Notice

Message: Undefined index: mxx

Filename: partials/footer.php

Line Number: 7

hellothai