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जीवनी/आत्मकथा >> क्रांति का मसीहा डॉ. बिनायक सेन

क्रांति का मसीहा डॉ. बिनायक सेन

एस. एन. सेवक, ए. कुमार

प्रकाशक : डायमंड पॉकेट बुक्स प्रकाशित वर्ष : 2012
पृष्ठ :151
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 8703
आईएसबीएन :9788128833878

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यह पुस्तक स्वास्थ्य रक्षा तथा मानवाधिकार रक्षा के क्षेत्रों में डॉ. बिनायक सेन के द्वारा किए गए संघर्ष का बेबाक लेखा-जोखा देती है।

Kranti ka Masiha (S. N. Sevak, A. Kumar)

यह पुस्तक स्वास्थ्य रक्षा तथा मानवाधिकार रक्षा के क्षेत्रों में डॉ. बिनायक सेन के द्वारा किए गए संघर्ष का बेबाक लेखा-जोखा देती है। डॉ. सेन ने छत्तीसगढ़ के ग़रीब आदिवासियों के लिए बहुत काम किया। छ्त्तीसगढ़ की राज्य सरकार डॉ. सेन को दुश्मन समझती है तथा उसने उन पर देशद्रोह का अभियोग भी लगाया है। उस क्षेत्र के लोग उन्हें अपना दोस्त समझते हैं। एक डॉक्टर के तौर पर, डॉ. सेन ने हज़ारों पुरुषों, स्त्रियों तथा बच्चों को अपनी चिकित्सा के द्वारा राहत प्रदान की है। पीपल्ज़ यूनियन फ़ॉर सिविल लिबर्टीज़ (पी.यू.सी.एल.) के महासचिव होने के नाते, उन्होंने पुलिस तथा शासन के द्वारा प्रयोजित शांति सेना-सल्वा जुडुम-के द्वारा किए गए जुल्मों का पर्दाफाश किया। इन हथियार बंद लोगों ने उन ग़रीब लोगों को अपने निवास व भूमि से विस्थापित कर दिया ताकि प्रभावशाली कॉर्पोरेट कंपनियां इन इलाके के खनिज पदार्थो को इस्तेमाल कर सकें। डॉ. सेन को उनके व्यावसायिक तथा मानवीय कार्यों के लिए अमेरिका तथा दक्षिण कोरिया में अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। परन्तु छत्तीसगढ़ सरकार उनके खिलाफ गलत मुकदमे चालू रखने पर आमदा है। यह पुस्तक उनको एक सच्चे फाइटर के रूप में पेश करती है। यह पुस्तक साबित करती है कि डॉ. सेन जनता के दुश्मन नहीं बल्कि उनके दोस्त हैं।

दो शब्द


हमें इस पुस्तक को लिखने के लिए काफ़ी मित्रों व शुभचिंतकों से सुझाव व सामग्री प्राप्त हुई है। उन सब ने कई प्रकार से सहायता दी। हम उन सब का धन्यवाद करते हैं। इस परियोजना में उनके द्वारा दिए गए योगदान को हम धन्यवाद सहित स्वीकार करते हैं।

स्वामी अनिवेश, जो हमारे पुराने मित्र तथा सामाजिक सक्रियतावादी हैं, पहले व्यक्ति थे जिन से हम ने इस परियोजना की स्वीकृति मिलने के बाद संपर्क स्थापित किया। स्वामी जी ने हमें पी.यू.सी.एल. के कई मानवाधिकार सक्रियतावादियों से मिलवाया। स्वामी जी ने हमें इस विषय पर भरपूर जानकारी दी तथा इस पुस्तक के लिए प्राक्कथन भी लिख कर दिया। हम उनके मार्गदर्शन तथा सहयोग के लिए उनके प्रति अपना आभार व्यक्त करते हैं।

प्रोफ़ेसर ए. के. मलेरी ने हमें पत्रिकाओं तथा समाचार पत्रों के रूप में काफ़ी महत्त्वपूर्ण जानकारी मुहैया करवाई। हमने उनके साथ डॉ. सेन के बारे में काफ़ी लाभदायक चर्चा भी की। हमें सुश्री कविता श्रीवास्तव, प्रो. प्रभाकर सिन्हा, श्री पुष्कर राज, श्री महीपाल सिंह, श्री राजेंद्र सायल, श्री अजीत सिन्हा, सुश्री सुधा भारद्वाज तथा श्री हिमांशु कुमार से बातचीत करने का भी अवसर मिला; ये सभी ‘पी.यू.सी.एल.’ के ऐक्टिविस्ट हैं, जो हमें मानवाधिकारों पर आयोजित एक अध्ययन गोष्ठी के दौरान मिले थे। हम ने उन सब के विचार सुने तथा कई परोक्ष संकेत (hints) प्राप्त किए। इस अध्ययन परियोजना के लिए वह काफ़ी महत्वपूर्ण सूचा थी। हम ‘पी.यू.सी.एल.’ के इन सभी नायकों को धन्यवाद देते हैं। डॉ. इलीना सेन, जो डॉ. सेन की पत्नी हैं, ने हमें काफ़ी उपयोगी जानकारी दी। डॉ. बिनायक सेन के साथ कुछ अधिक वार्तालाप नहीं हो सका। परन्तु, डॉ. स. न. सेवक को एक अध्ययन गोष्ठी के दौरान उनके विचारों को सुनने का अवसर मिला।

उपरोक्त व्यक्ति स्वास्थ्य रक्षा कार्यक्रमों, शिक्षण कार्यों तथा मानवाधिकारों से जुड़े संघर्ष की घटनाओं की बहुत लंबी श्रृंखला के मुख्य पात्र थे। इनके विचारों को जानकर इस पुस्तक के लेखक उत्साह से भर गए।


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