लोगों की राय

सामाजिक >> सोनागाछी की चम्‍बा

सोनागाछी की चम्‍बा

निमाई भट्टाचार्य

प्रकाशक : डायमंड पॉकेट बुक्स प्रकाशित वर्ष : 2011
पृष्ठ :120
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 8730
आईएसबीएन :9788128400797

Like this Hindi book 7 पाठकों को प्रिय

409 पाठक हैं

मूल बंगला रचना ‘ऐराओ मानुष’ का हिन्दी अनुवाद

Sonagachhi ki Chamba (Nimai Bhattacharya)

मूल बंगला रचना ऐराओ मानुष के हिन्दी अनुवाद इस उपन्यास में वेश्याओं की व्यथा का मार्मिक चित्रण किया गया है। लेखक ने काफी गहराई से उन हालातों का वर्णन किया है जिसके तहत युवतियां वेश्या बनने को विवश होती हैं। समाज के इस घृणित पेशे के फैलाव के लिए समाज के सफेदपोश लोगों से लेकर कई प्रतिभाशाली तबकों का परोक्ष-प्रत्यक्ष समर्थन जिम्मेदार होता है। युवतियां अनायास ही ऐसे लोगों के चंगुल में फंस जाती है जिनसे उन्हें उम्र भर बाहर निकलना मुश्किल होता है।

यह उपन्यास समाज के ऐसे लोगों पर करारा तमाचा है जो भोले-भोले गरीब असहाय लोगों को बहलाकर उनकी बेटियों को रोजगार दिलाने का सपना दिखाते हैं और उन्हें ऐसे रोजगार मे धकेल देते हैं जहां से लौटना संभव नहीं है। लौटती है सिर्फ बदनामी और जर्जर शरीर।


प्रथम पृष्ठ

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book