लोगों की राय

व्यवहारिक मार्गदर्शिका >> कर्मयोग नाइन्टी

कर्मयोग नाइन्टी

सरश्री

प्रकाशक : तेजज्ञान ग्लोबल फाउण्डेशन प्रकाशित वर्ष : 2011
पृष्ठ :200
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 8760
आईएसबीएन :9788184152487

Like this Hindi book 1 पाठकों को प्रिय

116 पाठक हैं

कर्मयोग - हर एक की गीता अलग है

Ek Break Ke Baad

गीता में मुख्य तीन योग बताए गए हैं- कर्म, ज्ञान और भक्ति। इन शब्दों में योग शब्द जोड़ा तो इसका अर्थ इनका जोड़ हो रहा है। ‘कर्म’ एक साधारण बात है मगर उसके अंदर योग जोड़ा तो यह असाधारण बात बन जाती है। यह योग आपको अनुभव पर पहुँचाने के लिए, उस ईश्वर से योग करवाने के लिए है।

जो कर्म ईश्वर से योग होने के लिए किए जाते हैं, वे कर्मयोग होते हैं। ईश्वर की सराहना के लिए आप जो करते हैं, वह भक्तियोग कहलाता है। जो ज्ञान हमें ईश्वर के साथ मिलाए, वह ज्ञानयोग कहलाता है।

इस पुस्तक में गीता में दिए गए श्लोकों द्वारा कर्मयोग यह विषय, तेजज्ञान के प्रकाश में समझाया गया है। इस विषय की छूटी हुई कड़ियों को यहाँ स्पष्ट किया गया है ताकि कर्म यह विषय उलझानेवाला न लगे।

‘कर्मयोग’ इस विषय को तेजज्ञान के प्रकाश में पढ़ें तथा कुदरत द्वारा बनाए गए सुंदर कर्म सिद्धांत को सराहें।

प्रथम पृष्ठ

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book

A PHP Error was encountered

Severity: Notice

Message: Undefined index: mxx

Filename: partials/footer.php

Line Number: 7

hellothai