लोगों की राय

नारी विमर्श >> औरत के लिए औरत

औरत के लिए औरत

नासिरा शर्मा

प्रकाशक : सामयिक प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2018
पृष्ठ :208
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 8772
आईएसबीएन :9788171380428

Like this Hindi book 3 पाठकों को प्रिय

358 पाठक हैं

इन लेखों में जीवन की आंच भी है और आस भी कि स्वयं नारी अपने प्रति होते हुए अत्याचारों और शोषण का रुख बदलेगी..

औरत को लेकर पिछले पचास वर्षों में काफी काम हुआ है, मगर समाजशास्त्र की दृष्टि से ‘स्त्री-विमर्श’ नाम का मुहावरा हिंदी साहित्य में पहुत बाद में बहस का मुद्दा बना। चाहे उस अन्तर्राष्ट्रीय दहाई को इसका श्रेय मिले या फिर उस जागरुकता को जिसका उदय सामूहिक स्तर पर पश्चिमी देशों में हुआ। व्यक्तिगत स्तर पर इसका प्रारंभ मैं तबसे मानती हूँ जबसे औरत ने घर की चुनौतियों के बीच रहना स्वीकार किया। आज दुनिया पेचीदा हो गई है, उसी तरह जैसे इंसानी रिश्ते भी, इसलिए उसको सुलझाना किसी एक के बस में नहीं है। आज समस्याएं कुछ इस तरह से जुड़ी हुई है कि उलका हल सामूहिक प्रयास द्वारा ही संभव है।

इस सच को विश्व स्तर पर समझा गया और इसी के चलते 1975 में मैक्सिको में पहला संयुक्त राष्ट्र महिला सम्मेलन आयोजित हुआ। 1975 महिला वर्ष घोषित हुआ और इसी के साथ पूरे एक दशक तक संसार भर में नारी-चेतना को लेकर काम शुरू हुए। उत्पीड़ित स्त्री संसार में तो हलचल मची ही, साथ ही वह वर्ग भी जागा जो दुनिया की आधी आबादी के प्रति पूरी तरह उदासीन था।

प्रथम पृष्ठ

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book