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गजलें और शायरी >> आह

आह

सुधीर मौर्य

प्रकाशक : भारतीय साहित्य सेवक संघ प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2011
पृष्ठ :64
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 8780
आईएसबीएन :00000000

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ये जो बोझल लगती है आज आंखे तेरी, तूने भी किया है शायद आज इश्क में रतजगा..

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