भाषा एवं साहित्य >> साठोत्तरी हिन्दी उपन्यासों में राजनीतिक चेतना साठोत्तरी हिन्दी उपन्यासों में राजनीतिक चेतनापुष्पेन्द्र दुबे
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आज की राजनीति व्यवसाय में परिणत हो चुकी है । एक तरह से नेता और पूंजीपति इसमें शेयर बाजार की तरह रुपया निवेश करते हैं और विजयी होने पर उसका लाभांश मूल सहित अर्जित करते हैं
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