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गजलें और शायरी >> संभाल कर रखना

संभाल कर रखना

राजेन्द्र तिवारी

प्रकाशक : उत्तरा बुक्स प्रकाशित वर्ष : 2012
पृष्ठ :120
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 8809
आईएसबीएन :9788192413822

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मन को छूने वाली ग़ज़लों का संग्रह



38

एक चेहरा सामने से यूँ गुज़रता है


एक चेहरा सामने से यूँ गुज़रता है।
आईना जिसके लिये बनता-संवरता है।।

शाम का चेहरा दमक उठता है रंगों से,
जब सितारा उसकी पलकों पर उतरता है।

कोई दीवाना है जो अक्सर अकेले में,
चाँद से हँस-हँस के पहरों बात करता है।

जो मेरी रग-रग में रहता है हरारत सा,
बन के ख़ुश्बू वो ही ग़ज़लों में बिखरता है।

एक ही रिश्ता बचा है बस मुहब्बत का,
और दुनिया को वही रिश्ता अखरता है।

आपकी बाँहों में रुक जाये तो रुक जाये,
वक़्त वर्ना किसकी ख़ातिर कब ठहरता है।

इक हक़ीक़त रोज़ मुझमें सर उठाती है,
एक सपना है जो मुझमें रोज़ मरता है।

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