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गजलें और शायरी >> संभाल कर रखना

संभाल कर रखना

राजेन्द्र तिवारी

प्रकाशक : उत्तरा बुक्स प्रकाशित वर्ष : 2012
पृष्ठ :120
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 8809
आईएसबीएन :9788192413822

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मन को छूने वाली ग़ज़लों का संग्रह



58

मंज़िल न कोई राहगुज़र घूम रहे हैं


मंज़िल न कोई राहगुज़र घूम रहे हैं।
बंजारे लिये काँधे पे घर घूम रहे हैं।।

अब घर से निकलिये तो बहुत सोच-समझकर,
सड़कों पे कई कि़स्म के डर घूम रहे हैं।

इक रेल में बैठे हुए बच्चे को पता क्या,
हम भाग रहे हैं या शजर घूम रहे हैं।

ये चाँद, ये धरती, ये बदलते हुए मौसम,
है किसकी मुहब्बत का असर घूम रहे हैं।

इस प्यार के दरिया में किनारे न मिलेंगे,
बस डूबते ही जाओ भँवर घूम रहे हैं।

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