लोगों की राय

कविता संग्रह >> धार पर हम

धार पर हम

वीरेन्द्र आस्तिक

प्रकाशक : आलोकपर्व प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 1998
पृष्ठ :140
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 8811
आईएसबीएन :0000000000

Like this Hindi book 9 पाठकों को प्रिय

373 पाठक हैं

दीप में कितनी जलन है, धूप में कितनी तपन है,यह बताएंगे तुम्हें वे, ज़िन्दगी जिनकी हवन है

Ek Break Ke Baad

‘धार पर हम’ वर्तमान व्यवस्था और जनरवी मानसिकता के रिश्तों का निकष बोध है। इन निकष-बोधी गीतों के गर्भ में छिपे कर्मबीज चेहरों को पढ़ रहे हैं। मन को खंगाल रहे हैं और गुमनामी अंधेरों से पहतानों को उजाले में ला रहे हैं। संकलन में कुछ ऐसा है कि यांत्रिक/बौद्धिक दर्प सप्तस्वरी आनंद के लिए विगलित होकर बच्चों की तरह गीत मुख चूमे जा रहा है। प्रेमपगी अल्हड़ता से रूबरू होने की छटपटाहट, पुरानी तस्वीरों की गर्द हटा रही है और क्या थे, क्या हैं, क्या हौएंगे की चिन्ता से कहीं दूर गीत नाद में डूबी जा रही है।

पूरा विश्वास है कि ‘धार पर हम’ गीत नवगीत की ऐतिहासिक यात्रा में साहित्यिक संस्कृति के संरक्षण का एक अगला कदम माना जाएगा।

प्रस्तुत पुस्तक में वीरेन्द्र आस्तिक जी ने समकालीन 16 रचनाकारों की रचनाओं को संकलित किया है।


प्रथम पृष्ठ

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book

A PHP Error was encountered

Severity: Notice

Message: Undefined index: mxx

Filename: partials/footer.php

Line Number: 7

hellothai