कहानी संग्रह >> उत्तराखण्ड की लोक कथाएँ उत्तराखण्ड की लोक कथाएँदीपा अग्रवाल
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उत्तराखण्ड की लोक कथाएँ
मंदिरों और तीर्थ-स्थलों की नगरी उत्तराखण्ड को देव-भूमि के नाम से भी जानते हैं। बर्फ से ढकी भव्य हिमालय की चोटियां, चमचमाते हिमनद, फूलों से भरी घाटियां और घने जंगलों से सजे इस राज्य के लोगों का अपने परिवेश से गहरा लगाव है। प्रकृति की पूजा ही इनके लिए सच्ची साधना है। सोलह कहानियों का यह संग्रह इंसान और प्रकृति के बीच इसी घनिष्ठ रिश्ते को दर्शाता है।
कथा-क्रम
भिंकणु ने कैसे अपने अंडे बचाए
काफल पके हैं
आठ बार पट-पट
चूहा राजकुमार
मां का प्यार
खिमवा और पनवा
भाई भूखो, मैं सीती
जयदूत और भूत
रुक जा, बहन दिन!
सौक जौहर ऐसे आए
धोती के मोती
सात सोने के तीर
लकड़ी को घोड़ा पानी पा सकता है?
कर्म, व्यवहार, भाग्य, उम्मीद
चमत्कारी अंगूठी
सोने के पिंजरे में बोलने वाला तोता
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