लोगों की राय

विविध >> बदहाली के बीच

बदहाली के बीच

सौमित्र राय

प्रकाशक : विकास संवाद प्रकाशित वर्ष : 2012
पृष्ठ :100
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 8887
आईएसबीएन :000000000000

Like this Hindi book 6 पाठकों को प्रिय

73 पाठक हैं

पानी, पेड़ और पहाड़ किसी भूखे नहीं मरने देते....

Ek Break Ke Baad

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

पता नहीं चुपचाप एक दौर कब और कैसे आया और हमारे जीवन में समाता चला गया, साथ में लाया - बदहाली। धीरे-धीरे जंगल, जमीन, पानी, रोजगार, पेड़, कहीं गायब रोने लगे। मेरा पड़ोसी ढीमर था, मछली उसके जीवन का आधार थी।

जब तालाब खत्म होने लगे तो भला मछली भी कहां बचती और जब मछली नहीं बची तो ढीमर कैसे बचता?

चौरसिया जीपान उगाते थे, बड़ा सम्मान था उनका। बड़ी मेहनत और तकनीक का काम था यह। सूरज थोड़ा गर्म हो जाये तो पान के बरेजे बेकार हो जाते हैं। लेकिन यहां तो सूरज थोड़ा बहुत गर्म नहीं हुआ, बल्कि आग उगलने लगा।

अनाज, पानी और राज्य सत्ता का मानवीय व्यवहार समाज को ताकतवर बनाता है। पता नहीं, पर ऐसा कुछ हुआ कि हमारे यहां का अनाज, पानी और राज्य सत्ता का मानवीय व्यवहार कहीं गुम होने लगा।

कहते हैं हमारी अपनी सरकार विकास की बात कर रही थी, लेकिन उसने मेरे गांव के लोगों के विज्ञान और उनकी समझ का मोल नहीं जाना और सब-कुछ बाहर से लेकर आए।

प्रथम पृष्ठ

लोगों की राय

No reviews for this book

A PHP Error was encountered

Severity: Notice

Message: Undefined index: mxx

Filename: partials/footer.php

Line Number: 7

hellothai