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पानी

पंकज थुक्ला

प्रकाशक : विकास संवाद प्रकाशित वर्ष : 2012
पृष्ठ :40
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 8899
आईएसबीएन :000000000000

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तुम्हीं से है अंकुरण, जीवन, पतझड़। तुम्हीं तो हो सृष्टा, सहगामी, संहारक।।

Ek Break Ke Baad

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

दो अक्षर का छोटा सा शीर्षक और छोटी सी पुस्तिका। लेकिन यह अपने में पूरा संसार समेटे हुये है।

पानी की तरलता और सरलता की तरह ही पंकज शुक्ला विलकुल सहज ढंग से हमें पानी की गहरी से गहरी बातों में उतारते जाते हैं, उसमें डुबोते नहीं, तैराते ले जाते हैं।

इसमें पानी का ज्ञान है, पानी का विज्ञान भी है। वे हमें बताते हैं कि किस तरह पानी दो छोर जोड़ सकता है तो यह भी कि पानी का उपयोग हम दो छोर तोड़ने में भी करने लगे हैं।

कोई बताएगा कि तीसरा युद्ध पानी को लेकर होगा तो पंकज बता रहे हैं कि अरे, यह लड़ाई तो हर मुहल्ले में, हर प्रदेश में, प्रदेशों के बीच और देशों के बीच चल ही रही है।

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