गीता प्रेस, गोरखपुर >> स्त्री धर्मप्रश्नोत्तरी स्त्री धर्मप्रश्नोत्तरीहनुमानप्रसाद पोद्दार
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इस पुस्तक में एक स्त्री से दूसरी स्त्री के द्वारा पूछे गये धार्मिक प्रश्न है।
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
स्त्री-धर्मप्रश्नोत्तरी
सरला—बहिन बहुत दिनों से इच्छा थी कि तुमसे स्त्री-धर्म के
सम्बन्ध
में कुछ पूछूँ। आज ईश्वर की कृपा से यह अवसर मिला है; क्या मैं इस समय
तुमसे कुछ पूछ सकती हूँ
सावित्री—बड़ी खुशी की बात है। बहिन ! मेरे लिये तो यह सौभाग्य की बात है कि आज तुम्हारे कारण मुझे धर्मचर्चा करने का सुअवसर मिलेगा और बहुत-सी भूली हुई बातें याद आ जायँगी।
सरला—अच्छा तो बहिन ! पहले तुम मुझे यह बतलाओ कि स्त्रियों का मुख्य धर्म क्या है ?
सावित्री—स्त्री के लिए मुख्य धर्म केवल पतिपरायणता ही है और सारे धर्म तो गौण हैं और उनका आचरण भी केवल पति की प्रसन्नता के लिये ही किया जाता है।
सरला—आजकल तो लोग कहते है कि स्त्री और पुरुष के समान अधिकार हैं, फिर अकेली स्त्री ही पति की सेवा क्यों करे, पति अपनी स्त्री की सेवा क्यों न करे ?
सावित्री—ऐसा कहने वाले लोग आर्य महिलाओं के पतिव्रतधर्म का महत्त्व नहीं जानते। हमारे यहाँ तो स्त्री के लिए पति ही एकमात्र उपास्य देवता है और उसी की सेवा से स्त्री के सारे मनोरथ सिद्ध होते हैं।
मनुमहाराज ने कहा है
सावित्री—बड़ी खुशी की बात है। बहिन ! मेरे लिये तो यह सौभाग्य की बात है कि आज तुम्हारे कारण मुझे धर्मचर्चा करने का सुअवसर मिलेगा और बहुत-सी भूली हुई बातें याद आ जायँगी।
सरला—अच्छा तो बहिन ! पहले तुम मुझे यह बतलाओ कि स्त्रियों का मुख्य धर्म क्या है ?
सावित्री—स्त्री के लिए मुख्य धर्म केवल पतिपरायणता ही है और सारे धर्म तो गौण हैं और उनका आचरण भी केवल पति की प्रसन्नता के लिये ही किया जाता है।
सरला—आजकल तो लोग कहते है कि स्त्री और पुरुष के समान अधिकार हैं, फिर अकेली स्त्री ही पति की सेवा क्यों करे, पति अपनी स्त्री की सेवा क्यों न करे ?
सावित्री—ऐसा कहने वाले लोग आर्य महिलाओं के पतिव्रतधर्म का महत्त्व नहीं जानते। हमारे यहाँ तो स्त्री के लिए पति ही एकमात्र उपास्य देवता है और उसी की सेवा से स्त्री के सारे मनोरथ सिद्ध होते हैं।
मनुमहाराज ने कहा है
विशीलः कामवृत्तो वा गुणैर्वा परिवर्जितः।
उपचर्यः स्त्रिया साध्व्या सततं देववत् पतिः।।
उपचर्यः स्त्रिया साध्व्या सततं देववत् पतिः।।
(अ.5/154)
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