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धर्म एवं दर्शन >> दृष्टान्त महासागर

दृष्टान्त महासागर

स्वामी अवधेशानन्द गिरि

प्रकाशक : मनोज पब्लिकेशन प्रकाशित वर्ष : 2015
पृष्ठ :208
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 8951
आईएसबीएन :9788181333421

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सत्य को जानने-समझने के लिए एकाग्रता जरूरी है। मन को अच्छा नहीं लगता, वह उसे छोड़कर दूसरी ओर चल देता है...

Drashtantmahasar - A Hindi Book by Swami Avdheshanand Giri

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

गागर में सागर

सत्य को जानने-समझने के लिए एकाग्रता जरूरी है। मन को अच्छा नहीं लगता, वह उसे छोड़कर दूसरी ओर चल देता है। भारतीय मनीषियों ने मानव-मन के इस स्वभाव को भली-भांति जान लिया था। तभी जीवन के परम यथार्थ को सिखाने-समझाने के लिए उन्होंने मनोरंजक कथाओं का सहारा लिया-उपनिषदों की संरचना के बाद पुराणों की रचना के पीछे यही कारण था। ये कथाएं कहीं किसी व्यक्ति विशेष से सीधे-सीधे जुड़ी हुई थीं, तो कहीं एक विशेष प्रकार के पात्र को गढ़कर उसके इर्द-गिर्द कुछ सार्थक कहने का प्रयास था इनमें।

इसी प्रकार का प्रयोग जूनापीठाधीश्वर श्री स्वामी अवधेशानन्द जी महाराज के प्रवचनों में भी देखने को मिलता है। प्रवचनों के बीच-बीच में कहे गए प्रेरक प्रसंग और छोटी-छोटी कहानियां अपने संदर्भों में तो कथ्य को स्पष्ट सरल और सुगम बनाती ही हैं, अलग से भी ऐसा कुछ कह जाती हैं, जिससे अनचाहे में जीवन की गुत्थियां सुलझने लगती हैं।

पढ़ें और इन पर मनन करें, आपके सोचने का प्रक्रिया में जरूर कुछ नया घटित होगा। अपनी बात को स्पष्ट, सरल और सुगम बनाने के लिए इन दृष्टांतों का प्रयोग कर आप अपने वाक्चातुर्य को और निखार सकते हैं।

दृष्टांत महासागर

जीवन का मार्ग प्रशस्त करने वाले छोटे-छोटे प्रेरक कथा प्रसंग

जो काम तलवार नहीं कर पाती, उसे नन्ही-सी सूई कर देती है। यह बात जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में पूरी होती है-बल्कि देखने में तो यह आया कि छोटी-छोटी बातें जीवन में उनसे ज्यादा मूल्यवान होती हैं, जिन्हें बड़े रूप में दर्शाया जाता है। इस संकलन के छोटे-छोटे दृष्टांतों पर ’गागर में सागर’ की उक्ति तो सही बैठती ही है, इनके बारे में यह भी कहा जा सकता है-देखन में छोटे लगें, घाव करें गंभीर।

स्वामी अवधेशानन्द जी महाराज के व्यक्तित्व में आध्यात्मिक समझ और उसके प्रति निष्ठा का अद्भुत समन्वय है। उनके प्रवचनों में भाव और विचारों पर एक समान जोर होता है। दार्शनिक गूढ़ रहस्यों को समझने के लिए वे ऐसे छोटे-छोटे दृष्टांतों और प्रसंगों को उद्धृत करते हैं, जिन्हें समझने के बाद एक साधारण व्यक्ति के लिए भी कथ्य को समझना सहज रूप से सरल हो जाता है। इससे उनकी वक्तृत्व कला की अलौकिकता का जहां पता चलता है, वहीं यह भी अनुभव होता है कि वैचारिक और अनुभूति के स्तर पर सब कुछ कितना स्पष्ट है, कहीं किसी तरह का उलझाव नहीं है।

इस संकलन का प्रत्येक दृष्टांत जीवन के बारे में स्पष्ट दृष्टि देता हुआ अमूल्य संदेश देता है। बच्चे-बड़े सभी के लिए एक समान उपयोगी यह पुस्तक प्रत्येक परिवार के लिए संग्रहणीय है।

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