लोगों की राय

धर्म एवं दर्शन >> हमारे पूज्य देवी-देवता

हमारे पूज्य देवी-देवता

स्वामी अवधेशानन्द गिरि

प्रकाशक : मनोज पब्लिकेशन प्रकाशित वर्ष : 2015
पृष्ठ :208
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 8953
आईएसबीएन :9788131010860

Like this Hindi book 9 पाठकों को प्रिय

243 पाठक हैं

’देवता’ का अर्थ दिव्य गुणों से संपन्न महान व्यक्तित्वों से है। जो सदा, बिना किसी अपेक्षा के सभी को देता है, उसे भी ’देवता’ कहा जाता है...

कामदेव


वसंत ऋतु को 'ऋतुराज' कहा जाता है। वसंत ऋतु आते ही पूरी प्रकृति नई नवेली दुल्हन की तरह सज जाती है। सब ओर सुगंधित पुष्प खिल जाते हैं। नई-नई कॉपलें फूटने लगती हैं। नई सृष्टि का जन्म होता है। इन सबका स्वामी कामदेव है। प्राचीन ग्रंथों में कामदेव को भी आदि देवता माना गया है। सारी सृष्टि करने का उत्तरदायित्व उसी का है किंतु पुराणों में उसे धर्म और श्रद्धा का पुत्र बताया गया है। कुछ ग्रंथों में कहा गया है कि कामदेव का जन्म ब्रह्मा के हृदय से हुआ है। ब्रह्मा तो सृष्टि बनाने वाले हैं ही। यदि उनके हृदय से 'काम' का जन्म न होता तो फिर सृष्टि कैसे होती?

कामदेव को अत्यंत सुंदर देवता माना गया है। वह सदा यौवन से भरपूर रहता है और तोते पर बैठकर उड़ता है। उसके चारों ओर अत्यंत सुंदर अप्सराएं नृत्य करती रहती हैं। उनके हाथों में कामदेव का लाल मकरध्वज रहता है। कामदेव के हाथ में ईख का एक धनुष रहता है। इस धनुष की डोर या प्रत्यंचा काले भंवरों की टोली से बनी होती है। उसके पास तरकस में फूलों के पांच बाण होते हैं जो ‘पंचशर' कहलाते हैं। इन्हीं पंचशरों से वह सबके मन को वेध डालता है। कामदेव की मार से कोई भी नहीं बच पाता।

कामदेव की पत्नी का नाम रति है जो प्रजापति दक्ष की कन्या थी। रति भी अत्यंत सुंदर थी। वह अपने हाथ में सदा अपने रूप को देखने के लिए एक दर्पण रखती थी। इसीलिए कहा जाता है कि उसे अपने रूप पर 'दर्प' था। कामदेव के पुत्र का नाम अनिरुद्ध था। कामदेव की पुत्री ‘तृषा' कहलाती है।

कामदेव सभी देवताओं में महत्वपूर्ण देवता है। एक बार तारक नामक एक असुर ने त्रैलोक्य में बड़ा उत्पात मचाया। सारे देवता घबरा गए। तारक ने यह वरदान प्राप्त कर लिया था कि उसे सिर्फ शिव का पुत्र ही मार सकेगा। शिव की पत्नी सती का देहांत हो चुका था। तारक निश्चित था कि अब तो शिव का

पुत्र जन्म नहीं ले सकता। यह जानकर वह अधिक निर्भय होकर सारे जगत को त्रास देने लगा। सब देवता मिलकर कामदेव की शरण में गए। उन्होंने कामदेव से प्रार्थना की कि वह शिव की अनंत समाधि को भंग करके उनके हृदय में पार्वती के प्रति प्रेम जगाए ताकि शिव और पार्वती का विवाह हो जाए। इसके उपरांत जो पुत्र होगा, उससे तारक का वध कराया जा सकेगा।

कामदेव जानता था कि शिव के तीसरे नेत्र में अग्नि भरी हुई है। यदि उन्होंने तीसरे नेत्र से देख लिया तो वह सदा के लिए राख हो जाएगा। लेकिन देवताओं को तारक के अत्याचार से छुड़ाना था। कामदेव ने सबके लाभ के लिए अपना शरीर त्याग देने में ही भलाई समझी। शिव की तपस्या और साधना को भंग करने के लिए कामदेव ने पूरी पलटन लगा दी। चारों ओर से सुगंधित बयार बहने लगी, रंग-बिरंगे पक्षी चहचहाने लगे, फूल खिलने लगे तथा सुंदर स्त्रियां और सुंदर पुरुष गीत गाते हुए घूमने लगे। तब कामदेव ने अपने विख्यात धनुष पर फूलों का बाण चढ़ाकर समाधिस्थ शिव के ऊपर चला दिया। कामदेव का तीर लगने से शिव की तपस्या भंग हो गई। उन्होंने क्रोध में अपना तीसरा नेत्र खोलकर देखा कि यह दुःसाहसी कौन है? अंततः उनकी दृष्टि कामदेव पर पड़ी। दृष्टि पड़ते ही कामदेव तत्काल जलकर राख हो गया।

सारे देवता त्राहि-त्राहि करने लगे। कामदेव के बिना संसार की सृष्टि चलाना असंभव था। रति को जैसे ही अपने पति की मृत्यु का समाचार मिला, वह रोती हुई शिव के चरणों में जा गिरी। शिव बड़े दयालु हैं। वे रति के रोने से पसीज उठे। उन्होंने रति को वरदान दिया कि कामदेव पुनर्जीवित हो जाएगा किंतु वह देह धारण करके नहीं, वरन विदेह होकर सबके ऊपर राज्य करेगा। रति ने कामदेव को देह से भी मांगा। तब शिव ने कहा कि यह कामदेव श्रीकृष्ण और रुक्मिणी के पुत्र के रूप में जन्म लेगा। उस समय उसका नाम प्रद्युम्न होगा। इस प्रकार कामदेव का फिर से जन्म हुआ।

पहले भारत में कामदेव का एक उत्सव होता था जिसे 'मदनोत्सव' कहते थे। इस श्रृंगारिक उत्सव में हर जाति, हर वर्ग और हर अवस्था के लोग भाग लेते थे। यह गरीब-अमीर सबके लिए राग-रंग का उत्सव होता था। फागुन के महीने में उत्तर भारत के लोग अब भी खूब धूमधाम से राग-रंग मनाते हैं। होली के अवसर पर जो मन का खुला हुआ रूप देखने को मिलता है, वह मदनोत्सव का ही पर्याय है। वसंत ऋतु के आते ही प्रकृति और मानव-मन में एक साथ मादकता उठने लगती है। इसी मस्ती का देवता है-कामदेव।

 

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book

A PHP Error was encountered

Severity: Notice

Message: Undefined index: mxx

Filename: partials/footer.php

Line Number: 7

hellothai