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दलाल की बीवी

रवि बुले

प्रकाशक : हार्परकॉलिंस पब्लिशर्स इंडिया प्रकाशित वर्ष : 2013
पृष्ठ :156
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 8993
आईएसबीएन :9789351363088

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मन्दी के दिनों में लव सेक्स और धोखे की कहानी...

Dalal Ki Biwi - Hindi Book by Ravi Bule

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

ग्लोबल मन्दी के दिनों की यह लोकल दास्तान है। ग्लैमर के शहर मुम्बई की अँधेरी गलियों की कहानी। जहाँ मानव तस्करी और वेश्यावृत्ति के धँधे में लिप्त एक दलाल को पुलिस की हथकड़ियाँ लगी देख मण्डी में बिक्री के लिए रखी हुई मछलियाँ हँस पड़ती हैं...!! इधर लोग मछलियों की हँसी से हैरान हैं, उधर एक बिल्ली की जुबानी परत-दर-परत किस्सा सामने आता है। जिसमें दलाल के साथ उसकी बीवी, उसके रियल इस्टेट एजेंट दोस्त कमाल और वेश्यावृत्ति के लिए लायी गयी एक नेपालन से लेकर इटली से आये टूरिस्ट रेनातो मिलानी की ज़िन्दगी के रहस्य खुलते हैं। यहाँ बन्द कमरों में बनने वाली अश्लील फिल्मों, बॉलीवुड और धर्म के धँधे के ताने-बाने के बीच रहस्यमय ज़िन्दगी ‘मिस युनिवर्स’ बनने का ख्वाब देखने वाली मिट्ठू कुमारी की भी है। लव सेक्स और धोखे की इस दुनिया में ईमान, रिश्ते और दोस्ती दाँव पर हैं। कुछ सुरक्षित नहीं। पानी अगर ओसामा के कब्जे में है तो बिल्लियों की जान पर भी संकट गहराया हुआ है। हत्यारे खुले घमू रहे हैं...!! यह हमारा आज है तो सोचिए कल हमारे बच्चों के पास कैसी कहानियाँ होंगी ?



दलाल अकेला नहीं था।

उसके साथ पुलिस थी। एक सिपाही आगे, एक उसके साथ और एक पीछे। सब पैदल चल रहे थे। दलाल के दोनों हाथ सामने की तरफ़ रस्सियों से बँधे थे। उसके हाथों में हथकड़ी भी थी। हथकड़ी साथ चल रहे सिपाही की कमरपेटी से बँधी थी। दलाल के बाल बिखरे थे। कपड़े अस्त-व्यस्त। चेहरे के बाएँ हिस्से में थोड़ी सजून थी। इसके बावजदू उसके चेहरे पर शान्ति थी। वह संयत और सधे कदमों से चल रहा था। बिना प्रतिरोध के। पुलिस का एक इंस्पेक्टर तीनों सिपाहियों और दलाल के पीछे बाइक पर सवार था।

इन सबके आगे बच्चों की टोली थी। नकली चोर-पुलिस का खेल खेलने वाले बच्चे असली दृश्य देख कर चकित थे। वे दौड़ते हुए शोर कर रहे थे। पुलिस जब दलाल को लेकर मण्डी के बीचोंबीच पहुँची, तो बच्चों के शोर से वहाँ मौजदू लोगों को पता चला... दलाल ने ख़ून किया है...!!

ख़ून...!!

यह घटना हालांकि लोकल थी, मगर इसके कारण ग्लोबल थे।

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