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गायब होता देश

रणेन्द्र

प्रकाशक : पेंग्इन बुक्स प्रकाशित वर्ष : 2014
पृष्ठ :328
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 9045
आईएसबीएन :9780143420699

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गायब होता देश...

Gayab Hota Desh - A Hindi Book by Sonia Ranendra

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

‘‘पत्रकार किशन विद्रोही की हत्या कर दी गई ! लेकिन न कोई चश्मदीद गवाह है न कोई सबूत, जिससे कहा जा सके कि यह हत्या ही है। लाश मिली नहीं है। बस खून में सना तीर और बिस्तर पर खून के गहरे धब्बे ही बचे है।

इस हत्या के पीछे उस शहर का इतिहास छिपा है, जहां नोटों से भरी थैलियों और ताकत के बल पर आदिवासी टोले गायब होते रहे। उनकी जमीन छीनी जाती रही, उनके गांव उजाड़े जाते रहे। इस शहर के इतिहास जितना ही पुराना है आदिवासी जमीन की लूट का इतिहास। इसका विरोध करने वाले परमेश्वर पाहन जैसे लोग आपनी जिंदगी की कीमत चुकाते रहे और लूट के दाम पर फैलता रियल एस्टेट का साम्राज्य एक सम्मानित धंधा बन गया है. जितनी उसकी लालच बढ़ती गई उतनी ही उसकी ताकत, उसका पाखंड, उसकी नृशंसता और निर्ममता लेकिन नीरज पाहन, सोनमनी बोदरा, अनुजा पाहन, रमा पोद्दार जैसे लोगों की जिद है कि वे अमानवीयता के इस साम्राज्य से लड़ेंगे. वे किशन विद्रोही उर्फ के. के. झा नहीं है जो टूट जाएं, बदल जाएं, समझौते कर लें।

शहर पहले एक राज्य में तब्दील होता है और राज्य देश में और देश पूरी दुनिया में। लेकिन इसी बीच अपनी जमीनों से उजाड़ दिए गए लोग पाते हैं कि उनका देश गायब होता जा रहा है और वे एक ऐसी जमीन के निवासी है, जो दुनिया में कहीं नहीं है. मिथकीय लेमुरिया द्वीपों की तरह। वे फिर से कब हासिल करेंगे, अपने गायब होते देश को ?

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