गीता प्रेस, गोरखपुर >> रामाज्ञा प्रश्न रामाज्ञा प्रश्नसुदर्शन सिंह
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प्रस्तुत है गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित रामाज्ञा प्रश्न का सरल भावार्थ सहित ग्रन्थ।
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
पुस्तक-परिचय
कहा जाता है कि गोस्वामी तुलसीदासजी ने अपने परिचित गंगाराम ज्योतिषी के
लिये रामाज्ञा-प्रश्न की रचना की थी। गंगाराम ज्योतिषी काशी में
प्रह्लादघाट पर रहते थे। वे प्रतिदिन सायंकाल श्रीगोस्वामी जी के साथ
संध्या करने गंगातट पर जाया करते थे। एक दिन गोस्वामीजी ने
कहा-‘आप
पधारें, मैं आज गंगा-किनारे नहीं जा सकूँगा।’
गोस्वामीजी ने पूछा-‘‘आप बहुत उदास दीखते हैं, कारण क्या है ?’’
ज्योतिषीजी ने बतलाया-‘राजघाट पर दो गढ़बार-वंशीय नरेश हैं, * उनके राजकुमार आखेट के लिये गये थे, किन्तु लौटे नहीं। समाचार मिला है कि आखेट में जो लोग गये थे, उनमें से एक को बाघ ने मार दिया है। राजा ने मुझे आज बुलाया था। मुझसे पूछा गया कि उनका पुत्र सकुशल है या नहीं, किन्तु ये बात राजाओं की ठहरी, कहा गया है कि उत्तर ठीक निकला तो भारी पुरस्कार मिलेगा अन्यथा प्राणदण्ड दिया जायगा। मैं एक दिन का समय माँगकर घर आ गया हूँ किन्तु मेरा ज्योतिष-ज्ञान इतना नहीं कि निश्चयात्मक उत्तर दे सकूँ। पता नहीं कल क्या होगा।’
दु:खी ब्राह्मण पर गोस्वामीजी को दया आ गयी। उन्होंने कहा-‘आप चिन्ता न करें। श्रीरघुनाथ जी सब मंगल करेंगे।’
गोस्वामीजी ने पूछा-‘‘आप बहुत उदास दीखते हैं, कारण क्या है ?’’
ज्योतिषीजी ने बतलाया-‘राजघाट पर दो गढ़बार-वंशीय नरेश हैं, * उनके राजकुमार आखेट के लिये गये थे, किन्तु लौटे नहीं। समाचार मिला है कि आखेट में जो लोग गये थे, उनमें से एक को बाघ ने मार दिया है। राजा ने मुझे आज बुलाया था। मुझसे पूछा गया कि उनका पुत्र सकुशल है या नहीं, किन्तु ये बात राजाओं की ठहरी, कहा गया है कि उत्तर ठीक निकला तो भारी पुरस्कार मिलेगा अन्यथा प्राणदण्ड दिया जायगा। मैं एक दिन का समय माँगकर घर आ गया हूँ किन्तु मेरा ज्योतिष-ज्ञान इतना नहीं कि निश्चयात्मक उत्तर दे सकूँ। पता नहीं कल क्या होगा।’
दु:खी ब्राह्मण पर गोस्वामीजी को दया आ गयी। उन्होंने कहा-‘आप चिन्ता न करें। श्रीरघुनाथ जी सब मंगल करेंगे।’
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