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बारिश धुआँ और दोस्त

प्रियदर्शन

प्रकाशक : राधाकृष्ण प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2015
पृष्ठ :116
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 9074
आईएसबीएन :9788183616942

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बारिश धुआँ और दोस्त...

Barish Dhuaan Aur Dost - A Hindi Book by Priyadarshan

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

बारिश धुआँ और दोस्त प्रियदर्शन की इन कहानियों में एक धड़कता हुआ समाज दिखता है-वह समाज जो हमारी तेज़ दिनचर्या में अनदेखा-सा, पीछे छूटता हुआ सा रह जाता है। इनमें घरों और दफ्तरों की चौकीदारी करते वे दरबान हैं जो अपने बच्चों के लिए बेहतर और सुंदर भविष्य की कल्पना करते हैं, ऐसे मामूली सिपाही हैं जो भीड़ पर डंडे चलाते-चलाते किसी बच्चे के ऊपर पंखा झलने लगते हैं, ऐसी लड़कियाँ हैं जो हर बार नई लगती हैं और अपनी रेशमी खिलखिलाहटों के बीच दुख का एक धागा बचाए रखती हैं और ऐसा संसार है जो कुचला जाकर भी कायम रहता है। ज़िंदगी से रोज़ दो-दो हाथ करते और अपने हिस्से के सुख-दुख बाँटते-छाँटते इन चरित्रों की कहानियाँ एक विरल पठनीयता के साथ लिखी गई हैं-ऐसी किस्सागोई के साथ जिसमें नाटकीयता नहीं, लेकिन गहरी संलग्नता है जो अपने पाठक का हाथ थामकर उसे दूर तक साथ चलने को मज़बूर करती है। निहायत तरल और पारदर्शी भाषा में लिखी गईं ये कहानियाँ दरअसल पाठक और किरदार का फासला लगातार कम करती चलती हैं और यहाँ से लौटता हुआ पाठक अपने-आप को खाली हाथ महसूस नहीं करता। शुष्क और निरे यथार्थ की इकहरी राजनीतिक कहानियों या फिर वायवीय और रूमानी शब्दजाल में खोई मूलतः भाववादी कहानियों से अलग प्रियदर्शन की ये कहानियाँ अपने समय को पूरी संवेदनशीलता के साथ समझने और पकड़ने की कोशिश की वजह से विशिष्ट हो उठती हैं। इनमें राजनीति भी दिखती है, अर्थनीति भी, प्रेम भी दिखता है दुविधा भी, सत्ता के समीकरण भी दिखते हैं, प्रतिरोध की विवशता भी, लेकिन इन सबसे ज़्यादा वह मनुष्यता दिखती है जिसकी चादर तमाम धूल-मिट्टी के बाद भी जस की तस है। निस्संदेह, ‘उसके हिस्से का जादू’ के बाद प्रियदर्शन का यह दूसरा कथा-संग्रह उन्हें समकालीन कथा-लेखकों के बीच एक अलग पहचान देता है।

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