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भारतीय सिक्कों का इतिहास

गुणाकर मुले

प्रकाशक : राजकमल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2019
पृष्ठ :276
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 9154
आईएसबीएन :9789388933230

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"सिक्कों की धरोहर : भारतीय इतिहास के अदृश्य अध्याय"

सिक्कों में अपने समय का सामाजिकसांस्कृतिक और आर्थिक इतिहास छिपा रहता है लेकिन भारतीय सिक्कों का सिलसिलेवार इतिहास प्रस्तुत करने का काम हिन्दी में कम ही हुआ है। इतिहास और पुरातत्त्व प्रेमियों के लिए सिक्कों के इतिहास की जानकारी बहुत महत्त्वपूर्ण है। सिक्कों पर अंकित लेखों और लिपियों के माध्यम से कई बार अज्ञात तथ्य सामने आते हैं और संदिग्ध समझे जाने वाले तथ्यों की पुष्टि भी होती है। इस प्रकार सिक्कों के इतिहास के जरिये विभिन्न कालखंडों और राजवंशों के इतिहास के सम्बन्ध में प्रामाणिक तथ्य सामने आते रहे हैं।

भारतीय सिक्कों का इतिहास पुस्तक से सिक्कों के जन्म और विकास के बारे में पता चलता हैसाथ ही सिक्कों का क्या व्यापारिक महत्त्व हैइसकी भी जानकारी मिलती है। इससे आप जानेंगे कि सबसे पहले सिक्कों का चलन लिदिया में हुआफिर कैसे दूसरे राज्यों ने इन्हें चलन में लियाकौन से समय मेंकौन से राजा ने सिक्कों को कब-कब चलायाउनकी निधियाँ कहाँ थींटकसालें कैसी थींकिस धातु के और कितने माप-तौल के सिक्के बनते थेवे चाँदी के थेया सोने या ताँबे के – इन सबकी जानकारी बहुत ही सहज और रोचक भाषा में प्रस्तुत करती है यह पुस्तक।

हर आयु के पाठकों के प्रिय लेखक गुणाकर मुले की यह चिर-प्रतीक्षित पुस्तक इतिहास और पुरातत्त्व में रुचि रखनेवाले पाठकों के लिए विशेष रूप से उपयोगी है।

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