गीता प्रेस, गोरखपुर >> श्रीकृष्ण माधुरी श्रीकृष्ण माधुरीसुदर्शन सिंह
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प्रस्तुत संग्रह में भगवान श्रीकृष्ण के अनेकविध माधुर्य का वर्णन करनेवालों पदों का ही संग्रह किया गया है।
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
नम्र निवेदन
‘श्रीकृष्ण-माधुरी’ के नाम से सूर-पदावली का यह चौथा
संग्रह
सूर-साहित्य प्रेमियों की सेवा में प्रस्तुत है। जैसे कि इस संग्रह के नाम
से ही व्यत्त है, इसमें माधुर्यनिधि सर्वतोमधुर भगवान् श्रीकृष्ण के
अनेकविध माधुर्य का वर्णन करने वाले पदों का ही संग्रह किया गया है। इसके
पहले ‘श्रीकृष्ण-बाल-माधुरी’ के नाम से जो संग्रह
निकल चुका
है,
उसमें श्रीकृष्ण की मनोमुग्धकारिणी शिशुलीला की झाँकी देखने में आती है। वर्तमान संग्रह में उनके बल, कुमार एवं किशोर रूपों की छटा देखने को मिलती है तथा साथ ही उनकी मुरली की मादकता का भी बड़ी ही सरस वर्णन है।
इसमें माधुर्यपरक लगभग साढ़े तीन सौ चुने हुए पदों का समावेश हुआ है, जो काव्य-कला एवं भाव की दृष्टि से अनुपमेय हैं। इनमें भक्त-शिरोमणि कवि ने भाव की जो सरस धारा बहायी है, उसमें अवगाहन करने पर ही उसका कुछ स्वाद मिल सकेगा। उसके विषय में कुछ लिखना वैरस्य का कारण भले ही बनें, अस्तु
उसमें श्रीकृष्ण की मनोमुग्धकारिणी शिशुलीला की झाँकी देखने में आती है। वर्तमान संग्रह में उनके बल, कुमार एवं किशोर रूपों की छटा देखने को मिलती है तथा साथ ही उनकी मुरली की मादकता का भी बड़ी ही सरस वर्णन है।
इसमें माधुर्यपरक लगभग साढ़े तीन सौ चुने हुए पदों का समावेश हुआ है, जो काव्य-कला एवं भाव की दृष्टि से अनुपमेय हैं। इनमें भक्त-शिरोमणि कवि ने भाव की जो सरस धारा बहायी है, उसमें अवगाहन करने पर ही उसका कुछ स्वाद मिल सकेगा। उसके विषय में कुछ लिखना वैरस्य का कारण भले ही बनें, अस्तु
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