भाषा एवं साहित्य >> प्रयोजनमूलक हिन्दी प्रयोजनमूलक हिन्दीपी. लता
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प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
स्वतंत्र भारत में हिंदी विविध रूपों में प्रयुक्त होती है ! इस पहलू का अध्ययन ‘प्रयोजनमूलक अध्ययन’ कहलाता है ! बम्बइया बाजार में ग्राहक दूकानदार से कहता है-‘‘हम को फ्रेश भाजी मांगता है !’ यह भी हिंदी है ! स्वस्थ्य-विज्ञान का निम्नलिखित वाकया भी हिंदी है-‘‘मानव का रक्तचाप संतुलित रखना स्वस्थ्य के लिए आवश्यक है !’’
हिंदी भाषा के ऐसे विविध प्रयोजनों में अब प्रशासन सबसे महत्त्वपूर्ण हो गया है ! स्वतंत्र भारत की सरकार ने हिंदी को राजभाषा का पद दिया तो उसके प्रशासनिक स्वरुप का अध्ययन जोरों से होने लगा ! इसी के फलस्वरूप अब प्रकाशन-क्षेत्र में प्रयोजनमूलक हिंदी पर कई पुस्तके मिलती हैं !
डॉ. लता की यह पुस्तक इस दिशा की नवीनतम रचना है ! लता वर्षों से प्रयोजनमूलक हिंदी सिखाती रही है ! अतएव उसने बहुत से प्रमाणिक ग्रंथो का मनन-मंथन करके यह नवनीत निकाला है ! अनुभवी प्राध्यापिका ने छात्रों की जरूरत पहचानकर उनसे न्याय किया है ! उसकी भाषा स्पष्ट व सरल है ! तकनिकी लेखन की यह पहली शर्त है !
हिंदी भाषा के ऐसे विविध प्रयोजनों में अब प्रशासन सबसे महत्त्वपूर्ण हो गया है ! स्वतंत्र भारत की सरकार ने हिंदी को राजभाषा का पद दिया तो उसके प्रशासनिक स्वरुप का अध्ययन जोरों से होने लगा ! इसी के फलस्वरूप अब प्रकाशन-क्षेत्र में प्रयोजनमूलक हिंदी पर कई पुस्तके मिलती हैं !
डॉ. लता की यह पुस्तक इस दिशा की नवीनतम रचना है ! लता वर्षों से प्रयोजनमूलक हिंदी सिखाती रही है ! अतएव उसने बहुत से प्रमाणिक ग्रंथो का मनन-मंथन करके यह नवनीत निकाला है ! अनुभवी प्राध्यापिका ने छात्रों की जरूरत पहचानकर उनसे न्याय किया है ! उसकी भाषा स्पष्ट व सरल है ! तकनिकी लेखन की यह पहली शर्त है !
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