सामाजिक >> राजर्षि और अपनी दुनिया राजर्षि और अपनी दुनियारबीन्द्रनाथ टैगोर
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प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
भुवनेश्वरी मंदिर के पुजारी रघुपति ने अपनी हलवापूरी जारी रखने के लिए राजा गोविंद माणिक्य और उनकी प्रजा को तंत्र, मंत्र, बलि आदि के मायाजाल में ऐसा उलझाया कि देवी को प्रसन्न करने के लिए आए दिन बलि दी जाने लगी।
अचानक ऐसा क्या हुआ कि राजा गोविंद माणिक्य ने बलि प्रथा पर रोक लगा दी ? पुजारी और प्रजा पर इस रोक की क्या प्रतिक्रिया हुई ? क्या राजा अपना सिंहासन बचा सका ? जानने के लिए पढ़िए रवींद्रनाथ टैगोर का चर्चित उपन्यास है ‘राजर्षि’।
‘राजर्षि’ में कर्तव्य अकर्तव्य की कसौटी पर पापपुण्य की विवेचना करते हुए घर्मांधता के विरुद्ध जिहाद छेड़ने का प्रयास किया गया है। साथ ही रूढ़ियों को धिक्कारते हुए धर्म, प्रकृति एवं समाज को नए परिपेक्ष्य में देखा गया है।
‘राजर्षि’ के साथ-साथ टैगोर का विचार प्रधान लघु उपन्यास ‘अपनी दुनिया’ भी संकलित है। दोनों ही उपन्यास सभी वर्गों के पाठकों के लिए पठनीय हैं।
अचानक ऐसा क्या हुआ कि राजा गोविंद माणिक्य ने बलि प्रथा पर रोक लगा दी ? पुजारी और प्रजा पर इस रोक की क्या प्रतिक्रिया हुई ? क्या राजा अपना सिंहासन बचा सका ? जानने के लिए पढ़िए रवींद्रनाथ टैगोर का चर्चित उपन्यास है ‘राजर्षि’।
‘राजर्षि’ में कर्तव्य अकर्तव्य की कसौटी पर पापपुण्य की विवेचना करते हुए घर्मांधता के विरुद्ध जिहाद छेड़ने का प्रयास किया गया है। साथ ही रूढ़ियों को धिक्कारते हुए धर्म, प्रकृति एवं समाज को नए परिपेक्ष्य में देखा गया है।
‘राजर्षि’ के साथ-साथ टैगोर का विचार प्रधान लघु उपन्यास ‘अपनी दुनिया’ भी संकलित है। दोनों ही उपन्यास सभी वर्गों के पाठकों के लिए पठनीय हैं।
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