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श्रंगार - प्रेम >> अंतिम कविता

अंतिम कविता

रबीन्द्रनाथ टैगोर

प्रकाशक : विश्व बुक्स प्रकाशित वर्ष : 2015
पृष्ठ :110
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 9293
आईएसबीएन :9788179876503

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प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

विदेशी सभ्यता की चकाचौंध हमें कुछ पल के लिए अपने मोहपाश में बांध सकती है, परंतु हमारी मिट्टी और संस्कृति की खुशबू ताउम्र के लिए हमें किसी बाह्य सभ्यता का आवरण ओढ़े रहने से रोक देती है।

बैरिस्टर अमित राय के साथ भी यही हुआ। अमित के कवि मन में पूरी तरह भारतीयता रचीबसी थी, जो रह-रह कर प्रेमपूर्ण शब्दों में उमड़ रही थी। इसी से वह लावण्य को अपनी ओर आकर्षित करने में कामयाब तो हुए, पर क्या लावण्य का प्यार पा सके... ?

अमित और लावण्य के प्रेम में गुंथे शब्दों की यह कविता आखिर कहां से शुरू होती है और कहां खत्म... जानने के लिए पढ़िए, टैगोर का चर्चित उपन्यास है ‘अंतिम कविता’।

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