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द्रौपदी की महाभारत

चित्रा बैनर्जी दिवाकरुणी

प्रकाशक : मंजुल पब्लिशिंग हाउस प्रकाशित वर्ष : 2015
पृष्ठ :355
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 9329
आईएसबीएन :9788183225809

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प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

महाभारत का युद्ध मात्र एक युद्ध न होकर मानवता के एक कालखंड, एक युग के अंत का परिचायक भी है। यह कुरुक्षेत्र की भूमि पर कौरवों और पांडवों के बीच हुए एक ऐसे भीषण व नृशंस युद्ध की गाथा है जो भाइयों के मध्य हुए ईर्ष्याजनित रक्तपात को दर्शाती है, और साथ हे छल, अपमान तथा उसके फलस्वरूप उत्पन्न प्रतिशोध के भावों को भी अत्यंत पुष्ट व प्रबल रूप में उजागर करती है। इस उपन्यास में लेखिका ने पांडवों की पत्नी एवं पांचाल नरेश द्रुपद की पुत्री पांचाली के माध्यम से न सिर्फ़ महाभारत की सम्पूर्ण कथा को अत्यंत सजीव और रोचक ढंग से उकेरा है, अपितु नारी की सोच, उसकी समस्याओं, उसके द्वंद एवं गूढ़ आंतरिक मनोभावों का बेहद व्यापकता से वर्णन किया है। इस उपन्यास में महाभारत की पृष्ठभूमि, उसके पात्रों एवं नारीपरक दृष्टिकोण को देखने समझने का नया आयाम मिलेगा।

पांडवों की पत्नी, पांचाली द्वारा सुनाई गई इस कथा के माध्यम से महाभारत की शाश्वत कथा को नारी के दृष्टिकोण से प्रस्तुत किया गया है। पांचाली के जन्म और उसके एकाकी बचपन से लेकर, जहाँ केवल उसका प्रिय भाई ही उसका सच्चा साथी है; रहस्यमयी कृष्ण के साथ उसकी जटिल मित्रता; उसके विवाह, मातृत्व और एक ऐसे पुरुष के प्रति उसका गुप्त आकर्षण जो उसके पति का सबसे ख़तरनाक शत्रु है, के बीच उसकी संपूर्ण जीवन गाथा इस पुरुष प्रधान संसार में जन्मी एक स्त्री की अत्यंत भावपूर्ण कहानी है।

नायिका ने संवाद, कथाओं व सपनों को अत्यंत सरल, सुबोध और सावधानी से चुने एक-एक शब्द में गूँथकर महाभारत की विभिन्न पर्तों को उजागर किया है।

- इंडिया टुडे

मर्मस्पर्शी तरीक़े से लिखी इस पुस्तक को स्वयं पढ़िए। आप फिर कभी द्रौपदी के लिए कृत्या का संबोधन सुनना सहन नहीं करेंगे।

- हिंदुस्तान टाइम्स

दिवाकरुणी ने द्रौपदी को सशक्त रूप में प्रस्तुत किया है।

- आउटलुक

दिवाकरुणी ने एक जीवंत और अद्भुत कथा प्रस्तुत की है जो केवल द्रौपदी और भगवान कृष्ण की ही नहीं, अपितु संपूर्ण विश्व के सबसे कारुणिक नायक कर्ण की भी कथा है।

- शेखर कपूर

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