रोमांटिक >> इश्क में माटी सोना इश्क में माटी सोनागिरीन्द्र नाथ झा
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प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
‘‘शहर के इश्क से इतर गाँव के इश्क को ‘शब्द के फ्रेम’ में ढालने में दिक्कतें आई ! दिल्ली के कॉफ़ी हाउस, रेस्तराँ, सिनेमा हॉल या फिर पार्कों से दूर गाँव की कहानी साफ़ अलग है ! गाँव में प्रेम तो है लेकिन उसके संग और भी बहुत कुछ हो रहा है ! उस तरह की उन्मुक्तता नहीं है जो दिल्ली में दिख जाती है ! यहाँ बंदिशें, नफरत, लड़ाई, जमीन को लेकर संघर्ष, राजनीति और कई तरह की रुकावटों के बीह्क पनपते प्रेम को हमने देखा और उसे बस लिख दिया !’’
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