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धर्म एवं दर्शन >> श्री रामनगर रामलीला

श्री रामनगर रामलीला

भानु शंकर मेहता

प्रकाशक : लोकभारती प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2015
पृष्ठ :223
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 9344
आईएसबीएन :9789352210589

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प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

रामचरितमानस सोलहवीं सदी में पुनः कही गयी रामकथा है जिसमे राम का दर्पण रूप प्रतिबिंबित है और यहाँ राम देवपद पर प्रतिष्ठित हो गये हैं ! यहाँ राम द्विज हैं और उनकी कथा भी दो बार कही गयी ! रामकथा का एक तृतीयांश आदर्श पुरुष राम का, दूसरी तिहाई राजाराम की और अंतिम अंश वैरागी यात्री राम का है !

यहाँ रामनगर में समानांतर अंक हैं - नगर में जहाँ सुख-सुविधा है, अविकसित ग्राम हैं और वन हैं वहीं आदिवासी, साधु-संत और वैरागी भी रहते हैं ! रामनगर रामलीला का अद्भुत प्रसंग है-कोट विदाई ! एक राजा द्वारा दूसरे राजा का स्वागत-सत्कार और फिर स्वरूपों को देवरूप मानकर विधिवत पूजा करता है ! रामनगर रामलीला की यात्राएँ देखें-एक तो राम जी की बारात है जो अयोध्या से जनकपुर जाती है, फिर विदाई यात्रा है जिसमे वर-वधू जनकपुर से अयोध्या आते हैं ! वनयात्रा और भरत की चित्रकूट नंदीग्राम की लम्बी यात्रा है ! भरत-मिलन-लंडा से अयोध्या की यात्रा है ! रामनगर रामलीला में लोक कला चरम उत्कर्ष पर पहुँच गयी है ! लोक कला की सीमा में सौन्दर्यबोध-नाटक, धर्म, राजनीति और समाज की संयुक्त अवतारणा है ! रामलीला में पुराणकथा, दर्शक सहभागिता, राजनीति की माया, पर्यावरण का सभी स्तरों पर प्रदर्शन होता है ! अन्यत्र कहीं भी रामनगर का अनुकरण नहीं हो सकता, हाँ, इससे कुछ सीख सकते हैं !

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