धर्म एवं दर्शन >> स्वामी रामतीर्थ जीवन और दर्शन स्वामी रामतीर्थ जीवन और दर्शनजयराम मिश्र
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प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
स्वामी रामतीर्थ जैसी दिव्य आध्यात्मिक विभूतियाँ शताब्दियों में यदा-कदा ही अवतीर्ण हुआ करती हैं ! बीसवीं शताब्दी के प्रारंभिक वर्षों में स्वामी रामतीर्थ ने अपने आध्यात्मिक तेज से समस्त संसार को अभिभूति कर दिया था ! वे मंत्र-द्रष्टा ऋषि और वेदांत के मूर्तिमान स्वरुप थे ! उनकी जीवन-कहानी, भारतीय दर्शन और साधना-प्रणाली की जीवंत कहानी है ! तैंतीस वर्ष की अल्पायु में ही उन्होंने जैसी साधना की, वह बहुत कम जीवनों में देखने को मिलती है ! वे निष्काम कर्मयोग, राजयोग, भक्तियोग एवं अद्वैत वेदांत के साकार विग्रह थे !
उनके ह्रदय में देशभक्ति, राष्ट्रभक्ति एवं मानव-सेवा की त्रिवेणी अजस्त्र रूप में प्रवाहित होती थी ! उन्होंने अपने व्यक्तित्व की अप्रतिम गरिमा से भारत का गौरव समस्त संसार की दृष्टि में बहुत ऊँचा उठाया ! इसमें रंचमात्र संदेह नहीं कि उनके जीवन, साधना-प्रणाली और आदर्शों से भारत ‘श्रेयस’ और ‘प्रेयस’ दोनों प्राप्त कर सकता है ! हमारे देश के नवयुवक स्वामी रामतीर्थ के विचारों, उपदेशों एवं शिक्षाओं से बलवती प्रेरणा ग्रहण कर सकते हैं, ऐसी हमारी दृढ-धारणा है !
उनके ह्रदय में देशभक्ति, राष्ट्रभक्ति एवं मानव-सेवा की त्रिवेणी अजस्त्र रूप में प्रवाहित होती थी ! उन्होंने अपने व्यक्तित्व की अप्रतिम गरिमा से भारत का गौरव समस्त संसार की दृष्टि में बहुत ऊँचा उठाया ! इसमें रंचमात्र संदेह नहीं कि उनके जीवन, साधना-प्रणाली और आदर्शों से भारत ‘श्रेयस’ और ‘प्रेयस’ दोनों प्राप्त कर सकता है ! हमारे देश के नवयुवक स्वामी रामतीर्थ के विचारों, उपदेशों एवं शिक्षाओं से बलवती प्रेरणा ग्रहण कर सकते हैं, ऐसी हमारी दृढ-धारणा है !
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