लोगों की राय

स्वास्थ्य-चिकित्सा >> चमत्कारिक तेल

चमत्कारिक तेल

उमेश पाण्डे

प्रकाशक : निरोगी दुनिया प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :252
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 9417
आईएसबीएन :9789385151071

Like this Hindi book 6 पाठकों को प्रिय

394 पाठक हैं

बहेड़े का तेल


बहेड़े के विभिन्न नाम

हिन्दी- बहेड़ा, बहेरा, संस्कृत- बिभीतक अक्ष, कर्णफूल, कलिद्रुम, बंगलाबयड़ा, बहेड़ा, गुजराती- बेड़ा, मलयालम- घांटिकवृक्ष, अरबी-बलीजल, फारसीबलील, अंग्रेजी- Beleric myroblans (बेलरिक मइरोबैलन्ज), लेटिन- टर्मिनेलिया बेलेरिका (Tereminaliabelerica)

यह वनस्पति जगत के कॉम्ब्रेटेसी (Combretaceae) कुल का सदस्य है।

यह पर्वत तथा अरण्य प्रदेशों में पाया जाने वाला बड़े आकार का वृक्ष होता है। इसकी ऊंचाई 100 से 150 फीट तक होती है। इसका काण्ड काष्ठ युक्त होता है। इसके पते वट वृक्ष के पतों की भांति सलंग किनोर वाले होते हैं तथा फूल के आकार , में छोटे-छोटे होते हैं, जो कड़ी के रूप में लगते हैं। फल दो प्रकार के होते हैं-गोलाकार व अण्डाकार। यह फल ही बाजारों में बहेड़ा के नाम से मिलता है। बहेड़ा कसैला, कफ–पित्तनाशक, दस्तावर अर्थात् कब्ज निवारक, खाँसी को खत्म करने वाला होता है। यह बालों के लिये लाभप्रद, नेत्रहितकारी होता है। इसका सेवन प्लीहा वृद्धि, कुष्ठ, अर्श (बवासीर) में करने से रोगी को अत्यन्त लाभ होता है। इसके बीजों से सम्पीड़न अर्थात् कम्प्रेशन की विधि के द्वारा तेल प्राप्त किया जाता है। इसके अन्तर्गत बीजों को स्वच्छ कर चक्की में डालकर उन पर विशिष्ट दाब तथा बल लगाकर तेल निकाला जाता है।

आयुर्वेदानुसार बहेड़े का तेल स्वादयुक्त, हरे-पीले रंग का, शीतलता प्रदान करने वाला, वीर्यवर्द्धक, कफजनक, बालों तथा त्वचा के लिये लाभदायक, वात-पित्तनाशक होता है। औषधीय प्रयोगों में इसकी 3 से 5 बूंद प्रयोग की जाती है।

बहेड़े के तेल के औषधीय प्रयोग

आयुर्वेद में बहेड़े का औषधीय महत्व स्वीकार किया गया है, इसलिये आयुर्वेद की अनेक औषधियों में इसका प्रयोग किया जाता है। इसी प्रकार से इसका तेल भी अनेक स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं को दूर करने में महत्वपूर्ण सिद्ध हुआ है। यहां पर बहेड़े के तेल के कुछ औषधीय प्रयोगों के बारे में बताया जा रहा है, आप इनका प्रयोग करके लाभ ले सकते हैं-

त्वचा की कांति बढ़ाने हेतु- बहेड़े के तेल में त्वचा की कांति बढ़ाने की विशिष्ट शक्ति होती है। इसके प्रयोग करने के लिये दो से चार बूंद बहेड़े के तेल को 10 बूंद सरसों के तेल में मिलाकर नित्य स्नान के पूर्व अपने सम्पूर्ण शरीर पर मालिश करते हैं। तत्पश्चात् स्नान करते हैं। इस प्रयोग को नित्य करने से त्वचा का रूखापन दूर होकर त्वचा खिल उठती है तथा चेहरे की कांति एवं तेज बढ़ता है। इस तेल को नाभि पर लगाने से होठों का रूखापन समाप्त होकर होठ मुलायम हो जाते हैं।

बल तथा वीर्य बढ़ाने हेतु- बहेड़े के तेल का उपयोग बहुत ही प्राचीन समय से बल तथा वीर्यवर्द्धन हेतु किया जाता रहा है। आज भी यह अत्यन्त उपयोगी सिद्ध होता है। इस हेतु बहेड़े के तेल की 4 बूंदें एक पाव दूध में मिलाकर सेवन किया जाता है। इस प्रयोग को सुबह अथवा रात्रि को करना चाहिये।

वात-पित रोगों में- ऐसे व्यक्ति जो प्रायः वात-पित रोगों से ग्रस्त रहते हैं, उन्हें बहेड़े के तेल का सेवन दूध या सब्जियों के साथ करना चाहिये। इसकी 4 बूंद पर्याप्त हैं।

कुष्ठ रोग में- कुष्ठ रोग की प्रारम्भिक अवस्था में बहेड़े के तेल में बराबर मात्रा में जायफल का तेल मिलाकर लगाने से पर्याप्त लाभ होता है। प्रयोग करते समय तेल के मिश्रण को रूई की सहायता से प्रभावित क्षेत्रों पर लगाना चाहिये।

कब्ज होने पर- पेट में अपचन अथवा कब्ज होने की स्थिति में बहेड़े के तेल की 4 बूंद मात्रा गुड़ में मिलाकर सेवन करनी चाहिये। इसे रात्रि में 8-9 बजे के लगभग लें तथा ऊपर से ठण्डा जल पी लें।

बहेड़े के तेल का विशेष प्रयोग

इसके तेल का एक अति विशिष्ट प्रयोग है जिसका वर्णन आयुर्वेद में बालों की विभिन्न प्रकार की समस्याओं को दूर करने हेतु किया गया है। इसके उचित प्रयोग समाप्त होना, रूखापन, छोटापन, रूसी का होना, जुयें होना इत्यादि अनेक समस्यायें दूर होने लगती हैं। इस प्रयोग के लिये इसके तेल को भी विशिष्ट तरह से बनाया जाता है। इसे बनाने के लिये 100 ग्राम नारियल तेल में 10 ग्राम बहेड़े का तेल मिलाकर कांच की बोतल में भरकर, सूरज की रोशनी में 10 से 15 दिन के लिये रखा जाता है। तत्पश्चात् यह तेल विशिष्ट प्रयोग के लिये तैयार हो जाता है। स्नान करने के पश्चात् इस विशिष्ट तेल को अंगुलियों की सहायता से बालों पर मलें। इस क्रिया को धीरे-धीरे तथा कम बल लगाकर करना चाहिये। इस तेल का प्रयोग करते हुये बालों को प्रतिदिन रीठा तथा शिकाकाई के पाउडर से नियमित रूप से धोयें। साबुन तथा शैम्पू का प्रयोग बिलकुल नहीं करें। इस प्रयोग के करने से रोमछिद्र खुलने लगते हैं तथा असमय बालों का झड़ना रुक जाता है। इससे रूखे बाल मुलायम तथा मजबूत होने लगते हैं, साथ ही वे काले तथा चमकीले होने लगते हैं।

बहेड़े के तेल का चमत्कारिक प्रयोग

बहुत सी ऐसी समस्यायें होती हैं जिनका समाधान आसानी से उपलब्ध नहीं होता है किन्तु जब कुछ विशेष उपाय किये जाते हैं तो समस्यायें दूर होने लगती हैं। बहेड़े के तेल के भी कुछ चमत्कारिक प्रयोग हैं जिनके करने से आपकी समस्यायें दूर होने लगती हैं। कुछ चमत्कारिक प्रयोग इस प्रकार हैं-

> ऐसे व्यक्ति जो ग्रहों अथवा पितृ आदि अन्य बाधाओं के परिणामस्वरूप अशांत रहते हों, उन्हें नहाने के पानी में 2-3 बूंद बहेड़े के तेल को चुटकी भर नमक के साथ मिलाकर स्नान करना चाहिये। इससे मानसिक शांति प्राप्त होती है। इसके परिणामस्वरूप मस्तिष्क में भी शीतलता बनी रहती है।

> बहेड़े के तेल का एक अन्य प्रयोग तंत्रशास्त्र में वर्णित है जिसका मैं यहां उल्लेख कर रहा हूं। इसके अनुसार ऐसे व्यक्ति जो किसी कार्य को पूर्ण शांति तथा एकाग्रता के साथ नहीं कर पाने के कारण असफलता प्राप्त करते हैं, उन्हें अपने दफ्तर के कक्ष या शयनकक्ष में बहेड़े तथा चमेली के तेल के मिश्रण का दीपक लगाना चाहिये। ऐसा करने से कुछ ही दिनों के भीतर वे अपनी मानसिक तथा शारीरिक शक्ति का उपयोग पूर्ण एकाग्रता के साथ करने में सक्षम हो जाते हैं। परिणामस्वरूप अपने कार्यक्षेत्र में सफल होते हैं। प्रयोग के अन्तर्गत बहेड़े तथा चमेली के तेल की बराबर-बराबर मात्रा मिलाकर पात्र आदि में रख लें। इसके बाद प्रतिदिन रूई की एक फूलबत्ती बनाकर उक्त मिश्रण में डुबोकर, पीतल के दीपक पर रखकर प्रज्ज्वलित कर लें। यह दीपक 5-7 मिनट तक जलना चाहिये। इस प्रयोग को कम से कम 40 दिन तक अवश्य करें।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

    अनुक्रम

  1. जीवन का आधार हैं तेल
  2. तेल प्राप्त करने की विधियां
  3. सम्पीड़न विधि
  4. आसवन विधि
  5. साधारण विधि
  6. तेलों के सम्बन्ध में कुछ विशेष जानकारियां
  7. नारियल का तेल
  8. अखरोष्ट का तेल
  9. राई का तेल
  10. करंज का तेल
  11. सत्यानाशी का तेल
  12. तिल का तेल
  13. दालचीनी का तेल
  14. मूंगफली का तेल
  15. अरण्डी का तेल
  16. यूकेलिप्टस का तेल
  17. चमेली का तेल
  18. हल्दी का तेल
  19. कालीमिर्च का तेल
  20. चंदन का तेल
  21. नीम का तेल
  22. कपूर का तेल
  23. लौंग का तेल
  24. महुआ का तेल
  25. सुदाब का तेल
  26. जायफल का तेल
  27. अलसी का तेल
  28. सूरजमुखी का तेल
  29. बहेड़े का तेल
  30. मालकांगनी का तेल
  31. जैतून का तेल
  32. सरसों का तेल
  33. नींबू का तेल
  34. कपास का तेल
  35. इलायची का तेल
  36. रोशा घास (लेमन ग्रास) का तेल
  37. बादाम का तेल
  38. पीपरमिण्ट का तेल
  39. खस का तेल
  40. देवदारु का तेल
  41. तुवरक का तेल
  42. तारपीन का तेल
  43. पान का तेल
  44. शीतल चीनी का तेल
  45. केवड़े का तेल
  46. बिडंग का तेल
  47. नागकेशर का तेल
  48. सहजन का तेल
  49. काजू का तेल
  50. कलौंजी का तेल
  51. पोदीने का तेल
  52. निर्गुण्डी का तेल
  53. मुलैठी का तेल
  54. अगर का तेल
  55. बाकुची का तेल
  56. चिरौंजी का तेल
  57. कुसुम्भ का तेल
  58. गोरखमुण्डी का तेल
  59. अंगार तेल
  60. चंदनादि तेल
  61. प्रसारिणी तेल
  62. मरिचादि तेल
  63. भृंगराज तेल
  64. महाभृंगराज तेल
  65. नारायण तेल
  66. शतावरी तेल
  67. षडबिन्दु तेल
  68. लाक्षादि तेल
  69. विषगर्भ तेल

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book

A PHP Error was encountered

Severity: Notice

Message: Undefined index: mxx

Filename: partials/footer.php

Line Number: 7

hellothai