लोगों की राय

स्वास्थ्य-चिकित्सा >> चमत्कारिक तेल

चमत्कारिक तेल

उमेश पाण्डे

प्रकाशक : निरोगी दुनिया प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :252
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 9417
आईएसबीएन :9789385151071

Like this Hindi book 6 पाठकों को प्रिय

394 पाठक हैं

महाभृंगराज तेल


शिर, कर्ण, नेत्र, केश आदि पर परम उपकार करने वाला यह तेल सिद्ध करना अत्यन्त ही सरल है। इसके सिद्धिकरण हेतु किसी शुद्ध स्थान अर्थात् जहां मल-मूत्र आदि न किये गये हों, वहां से पर्याप्त मात्रा में भांगरा तोड़ लायें। इस भांगरे को जल से धोकर इसका रस निकाल लें। यह रस जितना हो उसकी एक चौथाई मात्रा में तिल का तेल इसमें मिलाकर इस मिश्रण को पकायें। अब उपरोक्त मिश्रण में जितना तेल लिया गया हो उतनी मात्रा में नीचे लिखे हुये सभी पदार्थ बराबर-बराबर के अनुपात में लें। कहने का तात्पर्य यह है कि यदि तेल एक किलो लिया गया हो तो अग्रांकित लिखे हुये सभी पदार्थों को बराबर-बराबर मात्रा में इतना लें कि सब मिलकर एक किलो हो जायें। इन सभी पदार्थों को गाय के पर्याप्त दूध में पीसकर कल्क कर लें। इस कल्क को पकते हुये उत्त मिश्रण में डाल दें। पकते हुये जब केवल तेल रह जाये तब उसे छानकर सुरक्षित रख लें। यही महाभृंगराज तेल है। इसमें जिन पदार्थों का दूध में कल्क बनाया जाता है, वे हैं- मजीठ, पद्माख, लोध, चंदन, गेरू, खिरेंटी, हल्दी, दारूहल्दी, नागकेशर, फूल प्रियंगु, मुलेठी, पुण्डरिया तथा अनंतमूल।

उपरोक्तानुसार सिद्ध किया हुआ महाभृंगराज तेल केश, सिल, कर्ण, नेत्रस गलग्रह आदि पर अपना उत्तम प्रभाव दिखाता है। इसके लाभ निम्नांकित होते हैं:-

> इस तेल के प्रयोग से असमय बालों का झड़ना रुक जाता है।

> इसकी नित्य सिर में मालिश करने से शिरोपीड़ा में बहुत आराम होता है।

> इसकी मालिश करने से कुष्ठ रोग नहीं होता। यही नहीं, कुष्ठ रोगी इस तेल को लगाकर लाभान्वित होते हैं।

> इसको गले पर मालिश गलग्रह में फायदा करती है।

> इस तेल की 1-2 बूंद का नस्य लेने से नासा रोगों के होने की संभावना नहीं रहती। नासिका मार्ग खुला रहता है, नाक में फुसी नहीं होती।

> कान में इसकी एक बूंद डालने से श्रवण शक्ति बढ़ती है, कान में फफूंद नहीं जमती। प्रयोग 3-4 दिन तक दिन में एक बार करें।

> इसके प्रयोग से बाल सुन्दर, घने, चमकदार तथा धुंघराले भी हो जाते हैं।

> इस तेल के प्रयोग से इन्द्रलुप्त रोग में अत्यधिक लाभ होता है।

> गंजे लोगों को इसके प्रयोग से लाभ होता है अर्थात् यह खालित्य रोग में भी लाभ करता है।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

    अनुक्रम

  1. जीवन का आधार हैं तेल
  2. तेल प्राप्त करने की विधियां
  3. सम्पीड़न विधि
  4. आसवन विधि
  5. साधारण विधि
  6. तेलों के सम्बन्ध में कुछ विशेष जानकारियां
  7. नारियल का तेल
  8. अखरोष्ट का तेल
  9. राई का तेल
  10. करंज का तेल
  11. सत्यानाशी का तेल
  12. तिल का तेल
  13. दालचीनी का तेल
  14. मूंगफली का तेल
  15. अरण्डी का तेल
  16. यूकेलिप्टस का तेल
  17. चमेली का तेल
  18. हल्दी का तेल
  19. कालीमिर्च का तेल
  20. चंदन का तेल
  21. नीम का तेल
  22. कपूर का तेल
  23. लौंग का तेल
  24. महुआ का तेल
  25. सुदाब का तेल
  26. जायफल का तेल
  27. अलसी का तेल
  28. सूरजमुखी का तेल
  29. बहेड़े का तेल
  30. मालकांगनी का तेल
  31. जैतून का तेल
  32. सरसों का तेल
  33. नींबू का तेल
  34. कपास का तेल
  35. इलायची का तेल
  36. रोशा घास (लेमन ग्रास) का तेल
  37. बादाम का तेल
  38. पीपरमिण्ट का तेल
  39. खस का तेल
  40. देवदारु का तेल
  41. तुवरक का तेल
  42. तारपीन का तेल
  43. पान का तेल
  44. शीतल चीनी का तेल
  45. केवड़े का तेल
  46. बिडंग का तेल
  47. नागकेशर का तेल
  48. सहजन का तेल
  49. काजू का तेल
  50. कलौंजी का तेल
  51. पोदीने का तेल
  52. निर्गुण्डी का तेल
  53. मुलैठी का तेल
  54. अगर का तेल
  55. बाकुची का तेल
  56. चिरौंजी का तेल
  57. कुसुम्भ का तेल
  58. गोरखमुण्डी का तेल
  59. अंगार तेल
  60. चंदनादि तेल
  61. प्रसारिणी तेल
  62. मरिचादि तेल
  63. भृंगराज तेल
  64. महाभृंगराज तेल
  65. नारायण तेल
  66. शतावरी तेल
  67. षडबिन्दु तेल
  68. लाक्षादि तेल
  69. विषगर्भ तेल

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book