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कविता संग्रह >> श्रेष्ठ गीत

श्रेष्ठ गीत

महादेवी वर्मा

प्रकाशक : राजपाल एंड सन्स प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :160
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 9468
आईएसबीएन :9789350641446

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प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

महादेवी जी ने अपने गीतों की तुलना पक्षियों से की है। जिस प्रकार आकाश में उड़ान भरकर भी पंछी धरती से बँधा रहता है, उसी प्रकार कवि भी परा चेतना के आकाश में उड़ते हुए भी लोकजीवन से सम्बद्ध रहता है। पंछी की उड़ान धरती की सीमा में बन्दी नहीं रहती, फिर भी धरती में स्थित अपने नीड़ को वह कभी नहीं भूलता। कवि सूक्ष्मतम चैतन्य को अपनाते हुए भी क्षिति प्रकृति और स्थूल जीवन के प्रति सदैव सजग और चेतन रहता है - लोकजीवन के स्थूल धरातल से ऊपर उठकर भी लोक को अपनी अनुभूति में समाहित किये रहता है।

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