आलोचना >> नयी कविता एक साक्ष्य नयी कविता एक साक्ष्यरामस्वरूप चतुर्वेदी
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प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
काव्य-आन्दोलन और कवि-व्यक्तित्व के बाद स्वतः कविताओं का अध्ययन समीक्षा-क्रम का शायद सही विकास माना जायेगा ! ‘हिंदी नव-लेखन’ (1960) तथा ‘अज्ञेय और आधुनिक रचना की समस्या’ (1968) के उपरांत यह ‘नयी कविताएँ : एक साक्ष्य’ (1976) आपको नये काव्यानुभव से साक्षात्कार की इसी दिशा में अग्रसर करेगा ! नयी कविता क्योंकि सम्पूर्ण आधुनिक साहित्यिक गतिविधि के केंद्र में रही है इसीलिए इस अध्ययन के दौरान आप कविताओं के व्यक्तित्व में तो प्रवेश करेंगे ही—कभी-कभी उनसे टकरायेंगे भी - साथ-ही-साथ इस रचना-युग की पूरी मानसिकता से भी परिचित हो सकेंगे ! यहाँ समीक्षा का क्रम कवियों के अनुसार चलता है, पर उसके केंद्र में कविताएँ है ! तभी समझ में आता है कि कैसे रचना रचनाकार से बड़ी हो जाती है ! समीक्षक को इन दोनों के बीच अपना दायित्व निभाना रहा है ! नयी कविता की चुनी हुई नौ कवियों की कविताएँ यहाँ उसके विशिष्ट समीक्षक के साक्ष्यरूप में प्रस्तुत है !
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